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________________ एस धम्मो सनंतनो व्यवस्था में रुग्णता नहीं होती। जो किसी तरह दुखी हो गए हैं, दुखी बना लिया है, कुरूप हो गए हैं, जिन्होंने प्रेम के सारे स्रोत खो दिए हैं, वे भी ध्यान आकर्षित करते हैं, लेकिन उनके ध्यान आकर्षित करने में बड़ा उपद्रव और कुरूपता होती है। हर उत्सव के दिन, दो-चार ऐसी कुरूप स्त्रियां हैं, जो शोरगुल मचाकर गिर ही पड़ेंगी! एक भी सुंदर स्त्री वैसा नहीं करती। यह थोड़ा मैं सोचकर हैरान हुआ कि कुरूप स्त्रियां यह क्यों करती हैं? उन्हें कहीं और किसी तरह का आकर्षण उपलब्ध नहीं रहा। न वे नाच सकती हैं, न वे गा सकती हैं, न उन्हें प्रेम को पुकारने की और कोई समझ रही, पर कहीं शोरगुल मचाकर, छाती पीटकर रो तो सकती हैं, हाथ-पैर फैलाकर गिर तो सकती हैं। ऐसा भी नहीं कि वे जानकर कर रही होंगी। लेकिन यह हो रहा है। जाने-अनजाने कहीं इसमें भीतर रस है। इस भांति, एक बेहूदे ढंग से लोगों का ध्यान आकर्षित करने की आकांक्षा है। जिनके जीवन में कुछ कला होगी, वे कला से लोगों का ध्यान आकर्षित कर लेंगे। जिनके जीवन में कुछ भी न होगा, वे अपराध करके ध्यान आकर्षित करेंगे। मनस्विद कहते हैं कि बड़े कलाकार और अपराधियों में; सृजनात्मक पुरुषों में, राजनीतिज्ञों में, बहुत फर्क नहीं होता। फर्क यही होता है कि कोई बड़ा गीत लिखता है, उससे लोग आकर्षित हो जाते हैं। जो गीत नहीं लिख पाता, वह किसी की हत्या कर देता है, उससे भी अखबारों में नाम आता है, उससे भी प्रथम पृष्ठ पर नाम छपते हैं। अमरीका के एक हत्यारे ने सात लोगों की हत्याएं की एक दिन में। अकारण। ऐसे लोगों को मारा जिनसे कोई परिचय भी न था। ऐसे भी लोगों को मारा जिनको उसने देखा भी नहीं था—न मारने के पहले, न मारने के बाद-पीठ के पीछे से आकर गोली मार दी। अजनबी आदमी, सागर के तट पर बैठा सागर को देख रहा था, पीछे से आकर उसने गोली मार दी। अदालत में पूछा गया, यह तूने क्यों किया? उसने कहा कि मैं अखबार में प्रथम पृष्ठ पर अपना नाम देखना चाहता था। इसकी आकांक्षा तो सोचो! राजनेता है—न गीत लिख सकता है, न मूर्ति बना सकता है, न गीत गा सकता है, न सितार बजा सकता है, न नाच सकता है तो हड़ताल करवा देता है, जुलूस निकलवा देता है, अनशन करवा देता है। कुछ तो कर ही सकता है। उपद्रव तो कर ही सकता है। उपद्रव तो सुगम है। उपद्रव की लहर पर चढ़कर प्रमुख हो जाता है, महत्वपूर्ण हो जाता है। ध्यान रखना, सृजनात्मक ढंग से अगर तुम प्रेम को आकर्षित कर पाओ, तो पुण्य है। अगर विध्वंसात्मक ढंग से तुमने लोगों का ध्यान आकर्षित किया, तो पाप है। किसी को नुकसान पहुंचाकर, किसी कुरूप और भोंडे ढंग से अगर तुमने लोगों की नजरें अपनी तरफ फेर लीं, तो तुमने कुछ अपना हित नहीं किया। तुम इससे और 84
SR No.002382
Book TitleDhammapada 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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