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एस धम्मो सनंतनो
तो उस पत्नी को वेश्या बने ही रहना चाहिए; तो वे उद्धार करते रहें, काम जारी रहे। दुख में हमारे न्यस्त स्वार्थ हैं। ___मुझसे लोग कहते हैं कि हम दुख से मुक्त होना चाहते हैं, लेकिन मैं गौर से देखता हूं तो मुझे मुश्किल से कोई आदमी दिखायी पड़ता है, जो वस्तुतः दुख से मुक्त होना चाहे। कहते हैं वे। कहते हैं, कहने में रस है। दुख से मुक्त होने में रस नहीं है, दुख से मुक्त होना चाहते हैं, यह दिखलाने में रस है कि हम दुख से मुक्त होना चाहते हैं। इसका मजा ले रहे हैं। लेकिन दुख से तुम मुक्त होना चाहो तो तुम्हें कौन दुखी रख सकता है? कोई उपाय नहीं है इस संसार में किसी व्यक्ति को दुखी रखने का, अगर वह मुक्त होना चाहता है। लेकिन वह मुक्त होना नहीं चाहता। क्योंकि उसकी सारी सहानुभूति खो जाएगी।
तुम अपना निरीक्षण करो, छोटी सी बीमारी हो जाती है, तुम बड़ा करके बताते हो। तुम इसे खयाल करना। जरा सा सिरदर्द हो जाता है, तुम ऐसा समझते हो कि सारा पहाड़ टूट पड़ा, हिमालय तुम्हारे ऊपर टूट पड़ा। तुम इतना बढ़ा-चढ़ाकर क्यों बताते हो? क्योंकि जब तुम बढ़ा-चढ़ाकर बताते हो तो दूसरे की आंखें सहानुभूति से भर जाती हैं। तुम सहानुभूति की भिक्षा मांग रहे हो। लोग अपने दुख की चर्चा करते फिरते हैं, एक-दूसरे से कहते फिरते हैं, मैं बहुत दुखी हूं। क्यों? दुख की चर्चा से क्या सार है? लोगों की आंखों में सहानुभूति आती है, प्रेम का थोड़ा धोखा हो जाता है। लगता है, लोगों को मुझ में रस है, मैं महत्वपूर्ण हूं। लोग मेरे दुख से दुखी हैं। मेरे दुख से मुझे छुटकारा दिलाना चाहते हैं।
तुम जरा गौर करो, तुम अपने दुख की चर्चा एक सप्ताह के लिए बंद कर दो। तुम चकित होओगे कि दुख की चर्चा बंद करते ही लोगों की सहानुभूति खो गयी। सहानुभूति खोने में ऐसा लगेगा कि जीवन की कोई संपदा खोयी जा रही है। तुम चकित होओगे कि जो लोग तुम्हारे मित्र थे, वे बदलने लगे। क्योंकि उनका रस सहानुभूति दिखाने में था। वे ऐसे लोग चाहते थे-दुखी, दीन-जिनके ऊपर सहानुभूति दिखाएं, मुफ्त का मजा ले लें। तुम्हारे संबंध बदल जाएंगे। तुम्हें नए मित्र बनाने पड़ेंगे। उनको नए बीमार खोजने पड़ेंगे। ____तुम जरा सात दिन के लिए निरीक्षण करके देखो, मत करो दुख की चर्चा। तुम ऐसा करो, उलटा करो, सात दिन अपने सुखों की चर्चा करो। देखो, तुम्हारे दोस्त बदल जाएंगे। जो मिले उससे ही कहो कि अहा! कैसा आनंद आ रहा है! वह भी चौंकेगा कि अरे! कल तक सिर दर्द, पेट दर्द, कमर दर्द, यह, वह, पच्चीस बातें लाते थे! ___मेरे पास लोग आते हैं। उनमें से नब्बे प्रतिशत झूठ होता है। मैं यह नहीं कहता कि वे झूठ जानकर बोलते हैं। ध्यान किया नहीं कि कमर में दर्द, कि सिर में दर्द, कि छाती में दर्द, कि पेट में दर्द, जैसे ध्यान से दर्द का कोई लेना-देना है! अगर मैं उनसे
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