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ऊर्जा का क्षण-क्षण उपयोग : धर्म
कहूं कि यह सब बकवास है, तो वे मुझसे नाराज होते हैं। मुझे कहना पड़ता है, कुंडलिनी जग रही है! वे बड़े प्रसन्न होते हैं। यही सुनने के लिए वे दर्द लेकर आए थे। कुंडलिनी जग रही है, अहा! वे कल और बड़ा दर्द बनाकर ले आएंगे। और ऐसा भी नहीं कि वे झूठ कह रहे हैं, ध्यान रखना, वे कल्पना इतनी प्रगाढ़ कर लेते हैं कि वह प्रतीत भी होती है कि है। बड़ा जाल है। ____ अगर मैं उनको उनके दर्द से मुक्त करूं, तो वे राजी नहीं हैं। क्योंकि दर्द में उनका न्यस्त स्वार्थ है। रोज मैं देखता हूं, अगर मैं किसी को कह देता हूं कि यह सब बकवास है, कुछ तुम्हें हो नहीं रहा, खयाल है। वे मेरी तरफ ऐसे देखते हैं जैसे मैं दुश्मन हूं, उनसे मैंने कुछ छीन लिया है। सिर्फ दर्द ठीक नहीं हो रहा है, दर्द है नहीं, दर्द छीना, वे मेरी तरफ ऐसे देखते हैं कि मैं समझा नहीं, उनको कोई और गुरु तलाश करना पड़ेगा, जो कहे कि बिलकुल ठीक हो रहा है। अगर मैं कह देता हूं कि बड़ी गहरी घटना घट रही है, तो दर्द एक तरफ, वे मुस्कुराने लगते हैं, प्रसन्न हो जाते हैं।
तो दर्द में तुम सुख ले रहे हो, इसलिए दर्द है। तो बुद्धपुरुष कहते रहें कि पाप में दुख है, छोड़ो, तुम छोड़ोगे न। क्योंकि तुम्हें दुख में भी सुख है। और जब तक तुम वहां से न पकड़ोगे, तब तक बुद्ध-वचन तुम्हारे ऊपर ऐसे पड़ेंगे और निकल जाएंगे जैसे चिकने घड़े पर वर्षा होती है।
जरा जागो। अपने को पकड़ो रंगे हाथों, तुमने कैसा खेल अपने आसपास खड़ा कर लिया है! झूठी सहानुभूति मत मांगो। दुख के आधार पर प्रेम मत मांगो। क्योंकि दुख के आधार पर प्रेम मांगने से ज्यादा बड़ा आत्म-अपमान और कोई भी नहीं है। अगर प्रेम मांगते हो, तो आनंद के आधार पर मांगो। अगर प्रेम मांगते हो, तो स्वास्थ्य के आधार पर मांगो। अगर प्रेम मांगते हो, तो सौंदर्य के आधार पर मांगो। नकार के आधार पर प्रेम मत मांगो, अन्यथा तुम नकार होते चले जाओगे।
स्त्रियों ने सीख ली है वह कला बहुत। क्योंकि बचपन से उनको पता चल जाता है-सभी को पता चल जाता है लेकिन स्त्रियां उसे ज्यादा सीख लेती हैं। उसके भी कारण हैं। बच्चों को पता चल जाता है कि जब वे बीमार होते हैं तब घरभर के ध्यान का केंद्र बन जाते हैं। बच्चा बीमार हुआ, बिस्तर पर लग गया, तो बाप भी आकर बैठता है दफ्तर से–चाहे कितना ही थका हो-सिर पर हाथ रखता है, पूछता है, बेटा कैसे हो? ऐसे कोई नहीं पूछता। जब वह ठीक रहता है, कोई सिर पर हाथ नहीं रखता। मां आकर पास बैठती है। घरभर तीमारदारी करता है। डाक्टर आता है। पड़ोस के लोग देखने आने लगते हैं। बच्चे को एक बात समझ में आ जाती है-जब भी प्रेम चाहिए हो, बीमार पड़ जाओ।
स्त्रियां इस कला में पारंगत हो जाती हैं। जब भी उनको प्रेम चाहिए, एकदम बीमार पड़ जाती हैं। तुम देखो, स्त्री भली-चंगी बैठी है, पति आया, एकदम सिर में दर्द हो जाता है। यह चमत्कार समझ में नहीं आता कि पति के आने से सिरदर्द का