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एस धम्मो सनंतनो
इसे तुम थोड़ा समझने की कोशिश करो। मैं जैसे-जैसे लोगों के जीवन में उतरकर देखने की कोशिश करता हूं, मैं मुश्किल से पाता हूं ऐसा आदमी जो दुख छोड़ना चाहता है। क्योंकि दुख अकेला नहीं है, दुख के साथ बड़ी चीजें जुड़ी हैं।
समझने की कोशिश करें।
मनस्विद कहते हैं कि हर आदमी के भीतर मसीहा छिपा है। अगर कोई आदमी बीमार है, तो तुम्हारे मन में आकांक्षा उठती है उसकी सेवा करने की, उसको बीमारी के बाहर लाने की। अगर कोई आदमी दुखी है, तो तुम्हारे मन में आकांक्षा होती है, इसको इसके दुख के बाहर खींचना है, इसका उद्धार करें। ___ कुछ बुरी आकांक्षा नहीं। लेकिन परिणाम बड़े भयंकर हैं। पुरुष अक्सर ऐसी स्त्रियों के प्रेम में पड़ जाते हैं जो स्त्रियां दुखी हैं। क्योंकि पुरुषों को बड़ा मजा आ जाता है, किसी को दुख से उबार रहे हैं। स्त्रियां ऐसे पुरुषों के जीवन में उलझ जाती हैं, जिनमें सुधार की गुंजाइश है। शराबी है पति, तो स्त्री को ज्यादा रस आता है। सुधारने का एक सुख है। एक उद्धार का अवसर मिला।
अब इसे थोड़ा हम समझें।
अगर तुमने एक स्त्री को इसलिए प्रेम किया कि वह बीमार थी, रुग्ण थी और तुम उसे चिकित्सा करना चाहते थे, उसकी दुख की सीमा के बाहर लाना चाहते थे, तो फिर वह दुख को छोड़ न सकेगी। क्योंकि दुख छोड़ने का अर्थ तुम्हारा प्रेम भी खो जाना होगा। अगर एक स्त्री अपने पति के पीछे लगी है कि यह शराब छोड़ दे, और अगर यह शराब छोड़ने के कारण ही सारा प्रेम बना है, तो पति शराब न छोड़ सकेगा। क्योंकि शराब छोड़ने का मतलब हुआ, संबंध समाप्त हुआ। __मुझसे लोग पूछते हैं कि अगर हम बदल जाएंगे, तो हमारे संबंधों पर परिणाम तो न होगा? अगर हम ध्यान करेंगे, तो हमारे संबंध तो रूपांतरित न होंगे? मैं उनसे कहता हूं, सोच-समझकर करना। रूपांतरित होंगे। क्योंकि तुम्हारे सब संबंध तुम्हारे रोगों से भरे हैं। ध्यान एक को बदलेगा, तो दूसरे को भी बदलाहट होनी शुरू हो जाएगी। हमारे दुखों में भी हमारी पकड़ है। मजा खो जाएगा।
मैं दो शत्रुओं को जानता था। दोनों पुराने रिटायर्ड प्रोफेसर थे और दोनों का कुल धंधा इतना था, एक-दूसरे की निंदा। उनमें से एक से भी मिल जाओ तो दूसरे के संबंध में चर्चा सुननी पड़ती। उनमें से एक मर गया। काफी उम्र हो गयी थी, कोई अठहत्तर वर्ष। जिस दिन वह मरा, मैंने अपने एक मित्र को कहा कि अब दूसरा ज्यादा दिन जिंदा न रह सकेगा। तीन महीने बाद दूसरा भी मर गया। वह मित्र मेरे पास आया, उन्होंने कहा कि आपने यह कैसे कहा था? कि यह तो बिलकुल सीधी बात थी। उनका रस ही इतना था। अब उसके, दूसरे के जीवन में कोई रस ही न रहा। एक के मर जाने के बाद दूसरे को बात ही करने को कुछ न बची। सारी बात-उसकी निंदा! मित्रों में ही संबंध नहीं होते, दुश्मनों में भी बड़े गहरे नाते होते हैं।
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