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परमात्मा अपनी ओर आने का ही ढंग
जो भी पाया है, देखा है, वह तुम्हारा ही फैलाव है। समझ न होगी उतनी फैली हुई। समझ सिकुड़ी-सिकुड़ी है, अस्तित्व बहुत फैला है। यही तो चेष्टा है सारी कि तुम्हारी समझ भी उतनी बड़ी हो जाए जितना बड़ा अस्तित्व है। तुम्हारी समझ पूरे अस्तित्व पर फैल जाए। फिर तुम कोई फर्क न पाओगे। ___ अभी तुम बहुत सिकुड़े-सिकुड़े, अस्तित्व बहुत बड़ा है। इसलिए तुम अस्तित्व से अलग मालूम पड़ते हो, अपने सिकुड़ेपन के कारण। फैलो, बिखरो, तरल बनो, बहो। पत्थर की, बरफ की तरह न रहो। पिघल जाओ, पानी बन जाओ, सभी दिशाओं में बह जाओ। तुम अचानक पाओगे तुम पहुंच गए। धीरे-धीरे तुमने उस अनंत को छू लिया। वह था ही तुम्हारा, तुम अपने ही हाथ से छोड़े बैठे थे।
द्वार के आगे
और द्वार हर बार मिलेगा आलोक
झरेगी रस धार खोले चलो द्वार के आगे और द्वार। खोले चलो द्वार के आगे और द्वार।
हर बार मिलेगा आलोक
झरेगी रस धार इसलिए द्वार पर द्वार खोले चलता हूं। कभी भक्ति के द्वार के बहाने, कभी ज्ञान के द्वार के बहाने, कभी योग, कभी तंत्र, ये सभी उसी के द्वार हैं। क्योंकि यह सारा अस्तित्व उसी का मंदिर है। कहीं से पहुंचो उसी में पहुंच जाते हो। ज्ञान, भक्ति, योग, तंत्र को तो छोड़ दो, मैंने उन अतियों को भी एक करने की चेष्टा की है जिनको सोचकर भी तुम्हारा मन घबड़ा जाता है—समाधि और संभोग तक को। उनसे भी, तुम पहुंचोगे तो उसी में, क्योंकि और कहीं जाने का कोई उपाय नहीं है। तुम कहीं जाकर जा नहीं सकते। भरमा लो भला, समझा लो भला कि कहीं और पहुंच गए, पहंचोगे तुम परमात्मा में ही। नाम तुम कुछ भी रखो, वही है। . धन से भी तुमनें उसी की खोज की है, पद से भी उसी की खोज की है। भ्रांत होगी खोज, भूल भरी होगी, पर तुमने चाहा उसे ही है। उसके सिवाय कभी कोई चाहा ही नहीं गया। वही प्रीतम है। तुमने कहीं भी प्यारे को देखा हो-किसी सुंदर देह में, किसी सुंदर फूल में, किसी सुंदर चांद-तारे में-तुमने कहीं भी प्यारे की छवि पायी हो, प्यारा वही है। तुमने प्यारे को कहीं से भी पाती लिखी हो, पता उसी का है। उसके अतिरिक्त किसी का पता हो नहीं सकता। तुम चाहे अपने ही नाम पर चिट्ठी लिखकर डाल लेना, तो भी उसी को मिलेगी।
तुम्हारी कठिनाई भी मैं समझता हूं, क्योंकि तुम इन बातों को अति मान लेते हो। तुम शुरू से ही स्वीकार कर लेते हो कि इनमें कुछ विरोध है। भक्ति और ज्ञान में कुछ विरोध है। तंत्र, योग में कुछ विरोध है। हिंदू, मुसलमान में कुछ विरोध है।