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अशांति की समझ ही शांति
वही विद्यावान है, वही ज्ञानी है ।
और आचार ! शील और आचार में फर्क है। शील तब तक कहते हैं चरित्र को जब तक तुम जागकर उसे साध रहे हो । आचार तब कहते हैं जब तुम्हें जागे रहने की भी जरूरत न रही, स्वाभाविक हो गया । इसलिए जो आचार को उपलब्ध है, उसे शास्त्र आचार्य कहते हैं। आचार्य का अर्थ है, जिसके जीवन में अब चेष्टा न रही। अगर वह प्रेम देता है तो चेष्टा से नहीं। कुछ और दे ही नहीं सकता, बस प्रेम ही दे सकता 'है। अगर वह अपना ध्यान बांटता है, तो चेष्टा से नहीं। उसके पास ध्यान है लबालब, वह बहा जा रहा है।
शील तब तक है जब तक थोड़ी चेष्टा हो, आचार तब है जब चेष्टा भी चली । अभी तुम जैसे बिना किसी चेष्टा के क्रोध करते हो, ऐसे ही वह करुणा करता है। अभी तुम जैसे बिना किसी चेष्टा के कामवासना से भरते हो, ऐसे ही वह प्रेम के फूल खिलते हैं उसमें । अभी जैसे बिना किसी चेष्टा के तुम दूसरे को दुख देने में रस लेते हो, ऐसा ही वह दूसरे को सुख देने में रस लेता है।
'आचार तथा स्मृति से संपन्न होकर ।'
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स्मृति का अर्थ है, जो मैंने तीसरी बात तुमसे कही प्रारंभ में । कर्म का होश, पहला चरण; कर्ता `का होश, दूसरा चरण; फिर साक्षी का होश । उसको स्मृति कहते हैं बुद्ध — आत्मस्मरण । जिसको नानक, कबीर, दादू सुरति कहते हैं, वह बुद्ध का ही शब्द है, स्मृति, जो धीरे-धीरे विकृत हो गया। कबीर तक आते-आते लोकभाषा का हिस्सा बन गया और सुरति हो गया। वह आखिरी घड़ी है। जब तुम्हारे भीतर का दीया जलता है सतत, अविच्छिन्न । उठो, बैठो; सोओ, जागो; कुछ भी करो, 1 कुछ चेष्टा नहीं – भीतर का दीया जलता ही रहता है। वह प्रकाश तुम्हारे चारों तरफ फैलता ही रहता है । उस प्रकाश का नाम – स्मृति |
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'इनसे संपन्न होकर इस महादुख को पार कर सकोगे ।'
अगर इस गुलशने - हस्ती में होना ही मुकद्दर था तो मैं गुंचों की मुट्ठी में दिले- बुलबुल हुआ होता किसी भटके हुए राही को देता दावते - मंजिल बाबा की अंधेरी शब में जोगी का दीया होता
होने योग्य तो एक ही बात है, वह जोगी का दीया है !
किसी भटके हुए राही को देता दावते - मंजिल
बाबा की अंधेरी शब में जोगी का दीया होता
अगर होना ही मेरी नियति थी, तो कवि ने कहा है, कि कुछ ऐसी बात होती कि अंधेरी रात में यात्रियों को परम लक्ष्य की तरफ जाने का निमंत्रण बनता । कुछ ऐसी बात होती कि अंधेरी रात में जोगी का दीया होता। जिसको बुद्ध स्मृति कहते हैं, वही है जोगी का दीया |
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