________________
एस धम्मो सनंतनो
हो सकते हो। तुम्हारे अतिरिक्त कोई और बाधा नहीं है। इसलिए होने में अड़चन नहीं है। होना चाहो तो हो सकते हो । जो एक को संभव हुआ है, वह सबके लिए संभव है। जो एक मनुष्य के जीवन में दीया जला है, वह सभी मनुष्यों के जीवन में वह दीया जल सकता है। हां, अगर तुम्हीं उसे फूंककर बुझाए चले जाओ...!
मैं तुमसे कहता हूं कि वह दीया जलने की बहुत कोशिश करता है, तुम फूंक-फूंककर बुझाए चले जाते हो। तुम जलने नहीं देते। और फिर तुम दुख और धुएं से भरे जीते हो, तो रोते-चिल्लाते हो।
बंद करो रोना - चिल्लाना ! शिकायत छोड़ो ! यहां कोई भी नहीं है जिससे शिकायत हो सके। यहां कोई नहीं है जिसको दोष दिया जा सके। तुम्हारे अतिरिक्त और कोई उत्तरदायी नहीं है। जिम्मा लो ! जागो ! और अपने जीवन का सूत्र अपने हाथ में सम्हालो ! थोड़ी-थोड़ी रोशनी बढ़ने लगेगी। आज जो बूंद-बूंद की तरह. होगी, कल सागर हो जाता है। संदेह छोड़ो अपने पर। हटाओ व्यर्थ संदेह के जाल को। क्योंकि संदेह से भरे तुम कुछ भी न कर पाओगे, तुम कुछ भी न हो पाओगे ।
बहुत लोग सिर्फ जीते हैं, कुछ हो नहीं पाते। जीते हैं और मरते हैं; उनके भीतर कुछ परम जीवन की झलक नहीं आ पाती। आ सकती थी। मगर कोई जबर्दस्ती नहीं ला सकता है। तुम ही ला सकते हो, बस तुम ही ला सकते हो।
इसलिए समय खराब मत करो - न किसी की शिकायत में, न किसी को दोष देने में, न उत्तरदायित्व टालने में; सारी शक्ति को एक बात पर संलग्न करो, एक सूत्र पर कि तुम जागने लगो ! कुछ भी करो, एक बात ध्यान रखो कि जागकर करेंगे। हजार बार हारोगे, कोई फिकर नहीं; एक हजार एकवीं बार जीत जाओगे । चट्टान भी टूट जाती है। और यह चट्टान तो केवल तुम्हारी ही आदतों की है। ज्योति की धार जरा इस पर बहने दो।
आज इतना ही।
240