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एस धम्मो सनंतनो
लिए धोखा न दे पाओगे नियम को। __ ऐसा ही समझो कि कोई आदमी अगर लड़खड़ाकर शराब पीकर चले, आज न गिरे, कल न गिरे, परसों न गिरे; कब तक न गिरेगा? आज नहीं कल, कल नहीं परसों, कभी न कभी गिरने ही वाला है। गिरना भीतर इकट्ठा होता जा रहा है, संगृहीत हो रहा है। जिस दिन मात्रा पूरी हो जाएगी उसी दिन गिर जाएगा। कहते हैं, आखिरी तिनके से ऊंट बैठ जाता है। जब मात्रा पूरी हो जाती है, पाप का घड़ा पूरा भर जाता है, तो फूट जाता है। तो धोखे में मत पड़ना।
बुद्ध इतना ही कह रहे हैं कि तुम इससे धोखे में मत पड़ना, नहीं तो कहीं तुम अपने को समझा लो कि देखो यह बेईमान सफल हो रहा है, तो बुद्ध के नियम का क्या हुआ? यह ईमानदार असफल हुआ, तो बुद्ध के नियम का क्या हुआ? कहीं ऐसा न हो। क्योंकि मन इस तरह की तरकीबें खोजता है। मन बेईमानी करने के लिए बड़े तर्क खोजता है। ईमानदारी से बचने के लिए बड़े तर्क खोजता है। __मन कहेगा, देखो चारों तरफ, आंख तो खोलो। बुद्धों की सुनकर आंख बंद किए बैठे हो। यहां सफल वही हो रहा जो बेईमान है। यहां ईमानदार असफल होता दिखायी पड़ रहा है। यहां जिसने दूसरों को दुख दिया वह सुखी मालूम पड़ रहा है,
और जिसने दूसरों को सुख देने की चेष्टा की वह दुखी है, सड़ रहा है। तुम जिंदगी को देखो, शास्त्रों को मत देखो।
यह उलझाव खड़ा न हो, इसलिए अनुकंपावश बुद्ध कहते हैं, मरने के बाद। लेकिन फिर मैं तुम्हें याद दिला दूं, आदमी की बेईमानी कुछ ऐसी है कि कुछ भी करो, कुछ भी कहो, वह उसमें से रास्ता निकाल लेगा। ____ लोगों ने इसमें से रास्ता निकाल लिया। उन्होंने कहा, मरने के बाद! तब अभी कोई जल्दी नहीं। मरने के बाद होगा न, देख लेंगे। अभी कौन मरे जाते हैं! कोई न कोई रास्ता होगा ही। हर दफ्तर में लांच-धूंच का उपाय है, तो भगवान के भवन में भी कोई न कोई इंतजाम होगा। कुछ न कुछ कर लेंगे। और फिर सारी दुनिया कर रही है, देखेंगे, जो सबका होगा वह अपना होगा।
एक पादरी एक चर्च में लोगों को समझा रहा था कि कयामत का दिन आएगा, तो सबके पापों का निर्णय होगा। एक आदमी बीच में खड़ा हो गया, उसने कहा, मुझे एक बात पूछनी है। सबका निर्णय एक साथ होगा? जितने आदमी अब तक हुए, जितने आदमी अभी हैं, और जितने भविष्य में होंगे कयामत तक? पादरी ने कहा, सबका होगा। उसने कहा, औरतें भी उसमें होंगी, आदमी भी होंगे? कहा,
औरतें भी होंगी। तो उसने कहा, फिर एक दिन में निर्णय ज्यादा हो नहीं सकता, कोई फिकर की बात नहीं। एक दिन में इन सबका निर्णय ? वह निश्चित हो गया। अदालत में तो उपद्रव मच जाएगा, शोरगुल ही होगा, कुछ निर्णय होने वाला नहीं। आदमी नहीं, औरतें भी होंगी। चीख-पुकार मचेगी, शोरगुल होगा, एक-दूसरे पर लांछन
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