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अकेलेपन की गहन प्रतीति है मुक्ति
सो रहे हो।
तुझसे भी कुछ बढ़के थीं तेरी तमन्नाएं हसीन सैकड़ों परियों के झुरमुट में तेरा दीवाना था छीन ली क्यों आपने मुझसे मताए-सब्रो-होश
क्या सजाए-कैदे-गम के साथ कुछ जुर्माना था आदमी सोचता है ऐसा, कि एक तो संसार के कारागृह में डाल दिया, दुख में डाल दिया, और फिर सब्र और होश भी छीन लिया, तो यह क्या सजा के साथ-साथ जुर्माना है?
तुझसे भी कुछ बढ़के थीं तेरी तमन्नाएं हसीन सैकड़ों परियों के झरमट में तेरा दीवाना था छीन ली क्यों आपने मुझसे मताए-सब्रो-होश
क्या सजाए-कैदे-गम के साथ कुछ जुर्माना था लेकिन कोई न तो तुम्हें कारागृह में डाल रहा है, न कोई तुमसे होश छीन रहा है। होश तुम खुद ही खो रहे हो। होश तुम्हें मिला है-जन्म के साथ मिला है-तुम उसे बेच-बेचकर कूड़ा-कचरा खरीद रहे हो। तुम होश को काट-काटकर तिजोड़ी भर रहे हो। तुम होश को काट-काटकर व्यर्थ की संपत्ति इकट्ठी कर रहे हो। होश तुम्हारा स्वभाव है। और जितना होश कम हो जाएगा, उतने तुम कारागृह में गिर रहे हो। कोई तुम्हें गिराता नहीं। बेहोशी कारागृह है। होश मोक्ष है।
बुद्ध से किसी ने पूछा, मोक्ष की परिभाषा क्या है आपकी? तो उन्होंने कहा, अप्रमाद। बेहोशी न हो। तो मोक्ष को कहीं आकाश में न बताया, भीतर बताया तुम्हारे। बेहोशी न हो, मूर्छा न हो, जागरण हो।
फिर से प्रश्न को सुन लें, 'कल आपने कहा कि किए हुए पापों को शांति और तटस्थता के साथ भोग लो।' ___अगर तुमने शांति और तटस्थता के साथ दुख को भोग लिया, तो उसी शांति
और तटस्थता में तुम दुख के पार हो गए। अगर तुमने दुख को गौर से देखा और भोग लिया, तो तुम साक्षी हो गए, द्रष्टा हो गए। दुख दूर हो गया-विषय हो गया। तुम देखने वाले हो गए, दुख दृश्य हो गया। तुम्हारा दुख से तादात्म्य छूट गया।
इसे कभी प्रयोग करके देखो। साधारण दुखों में प्रयोग करो पहले। सिर में दर्द है, द्वार-दरवाजे बंद करके शांत बैठ जाओ और भीतर सिर के दर्द को देखने की कोशिश करो। साधारणतः, हम दर्द के साथ अपना तादात्म्य कर लेते हैं। लगता है कि मुझे दर्द है, मैं दर्द हो गया। हम दर्द में डूब जाते हैं।
थोड़ा अपने को निकालो बाहर। थोड़े सिर को दर्द के बाहर उठाओ, ऊपर उठाओ, दर्द को देखो—यह रहा सिरदर्द।
देख सकोगे, क्योंकि सिरदर्द एक घटना है, पीड़ा है। तुम पीछे से खड़े होकर
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