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अकेलेपन की गहन प्रतीति हे मुक्ति
भोगा, फिर नरक भेजा! मैं तुमसे कहता हूं, जीवनभर दुख का अभ्यास किया, तुम नरक के अतिरिक्त जाओगे भी कहां! तुम्हारा अभ्यास तुम्हें ले जाएगा। रास्ता बना लिया, अब तुम उसी रास्ते से चलोगे। तुम्हें अगर कोई स्वर्ग भेजना भी चाहे तो कोई उपाय नहीं है। तुम स्वर्ग में भी नर्क खोज लोगे।
नर्क तुम्हारा जीवन कोण है। यह कोई स्थान नहीं है कहीं। यह तुम्हारे देखने का ढंग है। तुम जहां जाओगे, नर्क खोज लोगे। तुम्हारा नर्क तुम्हारे साथ चलता है। तुम्हारा स्वर्ग भी तुम्हारे साथ चलता है। तुम अभ्यास करना यहीं से शुरू करो। तुम कल की प्रतीक्षा मत करो कि मरने के बाद स्वर्ग जाएंगे। अधिक लोग यही भूल कर रहे हैं कि मरे, फिर स्वर्गीय हुए!
अगर जन्म में, जीते-जी नरक में रहे, तो अचानक तुम स्वर्ग में नहीं पहुंच सकते। कोई छलांग थोड़े ही है कि तुमने एकदम से तय कर लिया और तुम स्वर्ग में चले गए। तुम्हारे जिंदगीभर का अभ्यास तुम्हारी दिशा बनेगा। __ यही सारा अर्थ है कर्म के सिद्धांत का। और बुद्ध ने कर्म के सिद्धांत को अपरिसीम महत्ता दी है। और ईश्वर को हटा लिया। क्योंकि बुद्ध को लगा, ईश्वर की मौजूदगी कर्म के सिद्धांत को पूरा न होने देगी।
ऐसा समझो कि अगर अदालत में कहीं ऐसी व्यवस्था हो जाए कि हम न्यायाधीश को अलग कर लें, और कानून हो सके, तो कानून ज्यादा पूर्ण होगा। न्यायाधीश की मौजूदगी कानून को गड़बड़ करती है। क्योंकि न्यायाधीश के भी अपने दृष्टिकोण हैं। किसी पर दया खा जाएगा, किसी पर क्रोध से भर जाएगा। न्यायाधीश हिंदू होगा तो हिंदू पर दया कर लेगा, मुसलमान होगा तो मुसलमान पर दया कर लेगा। न्यायाधीश खुद शराबी होगा तो शराबी को थोड़ा कम दंड देगा, अगर शराब के खिलाफ होगा तो शराबी को थोड़ा ज्यादा दंड दे देगा। ___आज नहीं कल, भविष्य में कभी न कभी न्यायाधीश की जगह कंप्यूटर होगा। होना चाहिए। क्योंकि कंप्यूटर पक्षपात न करेगा। वह तो सीधा-सीधा हिसाब न्याय का कर देगा। वहां कोई बीच में मनुष्य नहीं है, जो न्याय में किसी तरह की गड़बड़ कर सके।
बुद्ध ने, महावीर ने परमात्मा को अलग कर लिया, वह एक बहुत वैज्ञानिक आधार पर। वह आधार यह है कि परमात्मा की मौजूदगी न तो तुम्हें स्वतंत्र होने देगी, और परमात्मा की मौजूदगी कर्म के सिद्धांत को भी पूर्ण न होने देगी।
एडमंड बर्क यूरोप का एक बड़ा विचारक हुआ। वह एक चर्च में सुनने गया था। चर्च के पादरी के बोलने के बाद प्रश्न पूछे गए, तो उसने चर्च के पादरी से पूछा कि मुझे एक प्रश्न पूछना है: आपने कहा कि मरने के बाद, जो लोग सदाचारी थे और जिनका भगवान में भरोसा था, वे स्वर्ग जाएंगे। मेरे मन में एक सवाल है। वह सवाल यह है कि जो लोग सदाचारी थे लेकिन भगवान में भरोसा नहीं था, वे कहां जाएंगे?
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