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________________ एस धम्मो सनंतनो जाने से रोक सकता है फिर? और दुख का तुम शोरगुल मत मचाना। और दुख को छाती पीटकर दिखलाना मत। दुख का प्रदर्शन मत करना। ____ तुमने कभी खयाल किया, लोग अपने दुखों की चर्चा करते हैं, सुखों की नहीं करते। लोगों की बातें सुनो, दुख की कथाएं। सुख की तो कोई बात ही नहीं होती। कारण है। क्योंकि अगर तुम सुख की किसी से चर्चा करो, तो सहानुभूति थोड़े ही पा सकोगे, उलटी ईर्ष्या। अगर तुम किसी से कहो, मैं बहुत सुखी हूं, तो वह आदमी नाराज हो जाएगा। वह कहेगा, अच्छा! तो मेरे रहते तुम सुखी हो गए। उसकी आंख में तुम विरोध देखोगे। तुमने एक दुश्मन बना लिया। तुम कहो कि मैं बहुत दुखी हूं, कंधे झुके जा रहे हैं बोझ से, वह तुम्हारा सिर सहलाएगा। वह कहेगा कि बिलकुल ठीक। तुमने उसे एक मौका दिया अपनी तुलना में ज्यादा सुख अनुभव करने का। वह कहेगा कि बिलकुल ठीक। मैं एक घर में रहता था। मकान मालिक की जो पत्नी थी, किसी के घर कोई मर जाए-पास-पड़ोस में, दूर, संबंध हो न हो, पहचान हो न हो—वह जरूर जाती। मैंने उससे पूछा कि जब भी कोई मरता है तो मैं तुम्हें बड़ा प्रसन्नता से जाते देखता हूं, मामला क्या है? उसकी खुशी जाहिर हुई जाती थी। वह जहां भी दुखी लोगों को देखती, वहां जाने का लोभ संवरण न कर पाती। क्योंकि उनके दुख की तुलना में अपने को थोड़ा सुखी अनुभव करती। चलो, पति किसी और का मरा, अपना तो नहीं मरा। बेटा किसी और का मरा. अपना तो नहीं मरा। __ और लोग दूसरे के प्रति सहानुभूति दिखाने में बड़ा मजा लेते हैं। मुफ्त! कुछ खर्च भी नहीं होता और सहानुभूति दिखाने का मजा आ जाता है। ____ तुम खयाल करो। तुम्हारे घर कोई मर जाए और लोग आएं...शरतचंद्र के प्रसिद्ध उपन्यास देवदास में वैसी घटना है। देवदास के पिता मर गए और वह दरवाजे पर बैठा है। और लोग आते हैं, बड़ी सहानुभूति करते हैं। वह कहता है कि अंदर जाएं, मेरे बड़े भाई को कहें, उनको काफी मजा आएगा। तो लोगों को बड़ा सदमा लगता है। यह किस तरह का लड़का है! कहता है, अंदर जाएं। आगे बढ़ा देता है, कोई रस नहीं लेता उनकी बातों में। वे बड़ी तैयारी करके आए हैं। लोग जब किसी के घर जाते हैं मरण के अवसर पर तो सब सोचकर जाते हैं, क्या-क्या कहेंगे, कैसे-कैसे कहेंगे। पच्चीस दफे रिहर्सल कर लेते हैं मन में कि इस-इस तरह कहेंगे बात, बात को जमा देंगे। वह सुनता ही नहीं। वह, कोई बात शुरू करता है, वह कहता है कि रुको, अंदर चले जाओ, बड़े भाई बैठे हैं, उनको। लोग नाराज हो गए हैं उस पर। यह बर्दाश्त के बाहर है। ___ तुम सहानुभूति देना चाहो और कोई न ले, तुम बहुत नाराज हो जाओगे। लोग सहानुभूति मुक्तहस्त बांटते हैं। क्योंकि यही तो थोड़े से क्षण हैं जब उन्हें सुखी होने का अवसर मिलता है। किसी को दुखी देखकर लोग सुखी होते हैं। 142
SR No.002382
Book TitleDhammapada 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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