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जीवन-मृत्यु से पार है अमृत
एक, जीवन को पुनरुक्ति से बचाने की कोशिश करो। अन्यथा मरते वक्त तुम इतनी पुनरुक्ति की आकांक्षा लेकर मरोगे कि फिर दोहर जाओगे। फिर यही रास्ते, फिर यही दुकानें, फिर यही बाजार, फिर यही घर, धन-दौलत, पत्नी, बच्चे, फिर यही खाते बही, फिर यही रोग, फिर यही दुख, सब पूरा का पूरा दोहर जाएगा।
बुद्ध और महावीर दोनों ने बहुत जोर दिया है अपने साधकों के लिए कि वे पिछले जन्मों का स्मरण करें। सिर्फ एक कारण से, कि अगर पिछले जन्मों का स्मरण आ जाए, तो तुम्हें एक बात पता चलती है कि तुम पुनरुक्ति कर रहे हो। यही-यही तुम बहुत बार कर चुके हो। जैसे उसी फिल्म को फिर देखने चले गए। ____ मैं एक आदमी को जानता हूं, मेरे एक मित्र के पिता हैं। जिस गांव में रहते हैं, वहां एक ही टाकीज है। और उनके पास कोई काम नहीं। दिन में तीन शो होते हैं, वे तीनों शो देखते हैं। एक फिल्म पांच-सात दिन चलती है, वे पांच-सात दिन देखते हैं। एक दफा उनके घर मेहमान था। मैंने पूछा कि गजब कर रहे हैं आप! एक ही फिल्म को दिन में तीन बार देख आते हैं। वे कहते हैं, कुछ करने को नहीं, घर में
बैठे घबड़ा जाता हूं। चलो चल पड़े, टाकीज हो आए, देख आए। रोज उसी को देखते हैं पांच-सात दिन तक।
उनको देख कर, उनके चेहरे को देखकर मुझे लगा, यह आदमी की हालत है! यही फिल्म तुम बहुत बार देख चुके हो। यही यश तुम बहुत बार मांग चुके हो। यही काम, यही क्रोध तुम बहुत बार कर चुके हो, नया कुछ भी नहीं है।
तो बुद्ध और महावीर दोनों ने ऐसी प्रक्रियाएं खोजी, जिनके माध्यम से व्यक्ति अपने पिछले जन्मों के स्मरण में चला जाए। स्मरण आते ही भयंकर घबड़ाहट पकड़ लेती है कि यह मैं क्या कर रहा हूं वही-वही? वह तो हम भूल जाते हैं, तो सब लगता है फिर नया। फिर पड़े प्रेम में, फिर कोई पायल बोली, फिर तुमने समझा कि ऐसा प्रेम तो कभी हुआ ही नहीं। हुए होंगे मजनू, फरिहाद, हीर-रांझा, मगर मैं तो कभी नहीं हुआ। ऐसा प्रेम कभी नहीं हुआ। यह अनूठी घटना घट रही है। - तुम यह गोरखधंधा बहुत बार कर चुके हो। यह कुछ भी नया नहीं है। संसार बड़ा पुराना है। संसार सदा से प्राचीन है। इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है जो नया है। सूरज के तले कुछ भी नया नहीं। सब दोहर रहा है।
इस दोहरने की प्रतीति के ही कारण, इस देश में आवागमन से कैसे मुक्ति हो इसका भाव उठा। संसार में कहीं भी नहीं उठा। क्योंकि संसार में कहीं भी पिछले जन्मों को स्मरण करने की प्रक्रिया और मनोविज्ञान नहीं खोजा गया।
इसलिए इस्लाम कहता है, एक ही जन्म है। ईसाइयत कहती है, एक ही जन्म है। यहूदी कहते हैं, एक ही जन्म है। ये तीन धर्म हैं जो भारत के बाहर पैदा हुए। बाकी सब धर्म भारत में पैदा हुए।
जो धर्म भारत में पैदा हुए, वे कहते हैं, पुनर्जन्म है। अनंत श्रृंखला है। अनंत
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