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जीवन-मृत्यु से पार है अमृत
ही कह दो। समस्त धर्मों ने उघाड़ने पर जोर दिया है। जिसके पास भी तुम उघाड़ सको। ईसाइयों में कन्फेशन की व्यवस्था है। जाओ, जिसके प्रति तुम्हें भरोसा हो, अपने हृदय को उघाड़ दो। उघाड़ने से हृदय भरता है। जैसे ही तुम कह देते हो अपने घाव, तुम हल्के हो जाते हो। छिपाने को कुछ न बचा-बोझ न रहा।
सदगुरु का यही मूल्य था कि उसके पास तुम्हारी इतनी निष्ठा थी कि तुम सब कुछ खोलकर रख सकते थे। तुम सदगुरु के सामने अपने हृदय को नग्न कर सकते थे, निर्वस्त्र कर सकते थे। कोई चिंता न थी कि वह तुम्हारी निंदा करेगा। कोई चिंता न थी कि तुम कहोगे कि मैं पापी हूं, तो वह कहेगा कि तुम बुरे हो। कोई चिंता न थी कि तुम कहो कि मैंने चोरी की है, तो उसकी आंखों में तुम्हें नरक में डालने का भाव उठेगा। कोई चिंता न थी।
सदगुरु का अर्थ ही यह था—जिसकी अनुकंपा अपार है। तुम कुछ भी कहो, वह क्षमा कर सकेगा। तुम कुछ भी कहो, वह समझेगा कि मनुष्य दुर्बल है। वह समझेगा कि ऐसी भूलें मुझसे हुई हैं। वह समझेगा कि जो भूल कोई भी मनुष्य कर सकता है, वह मुझसे भी हुई हैं। उसने अपने को जानकर मनुष्यता की पूरी कमजोरी पहचान ली। और जिसने मनुष्य की कमजोरी पहचान ली, उसने मनुष्य की गरिमा भी पहचान ली। क्योंकि एक छोर कमजोरी है, दूसरी छोर गरिमा है। इधर मनुष्य पापी से पापी हो सकता है, उधर मनुष्य पुण्यात्मा से पुण्यात्मा हो सकता है। गिरे, तो अंधकार से अंधकार, अमावस से अमावस में उतर जाए; उठे, तो पूर्णिमा का चांद उसका ही है।
'मरणोपरांत कोई गर्भ में उत्पन्न होते हैं, कोई पापकर्म करने वाले नर्क में जाते हैं, कोई सुगति करने वाले स्वर्ग और कोई अनाश्रव पुरुष परिनिर्वाण को प्राप्त होते हैं।' ___ मृत्यु के बाद! मृत्यु तो सभी की घटती है। मरना तो सभी को पड़ता है। मृत्यु तो सभी को एक ही चौराहे पर ले आती है। लेकिन मृत्यु से रास्ते अलग होते हैं। कुछ वापस उन्हीं गर्मों में आ जाते हैं जहां पिछले जन्मों में थे। उनका जीवन एक पुनरुक्ति है। उनके जीवन में कुछ नए का आविर्भाव न हुआ। उन्होंने कुछ नया न सीखा। उन्होंने जीवन से कोई नया पाठ न लिया। उन्हें फिर वापस उसी क्लास में भेज दिया गया। कुछ हैं, जो जीवन से बड़ी सुख की संभावनाएं लेकर आए। जिन्होंने अपने को बचाया, सुरक्षा की। संपदा को खोया नहीं। उनके लिए स्वर्ग है। स्वर्ग का अर्थ है, उनके लिए सुख के द्वार खुले हैं। कुछ हैं, जिन्होंने सब गंवाया, दीए बुझा दिए सब, अंधेरी अमावस ही लेकर आए। उनके लिए नर्क है। __ यहां ध्यान रखना, बुद्ध का जोर इस बात पर है कि नर्क-स्वर्ग कोई तुम्हें देता नहीं, तुम्हीं अर्जित करते हो। तुम्ही मालिक हो। तुम्हारी मर्जी है, तुम्हारा चुनाव है। कोई परमात्मा नहीं है जो तुम्हें नर्कों में डाल दे। इसलिए प्रार्थनाओं से कुछ भी न होगा। यह मत सोचना कि पाप करते रहेंगे और प्रार्थना कर लेंगे। यह मत सोच लेना
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