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________________ एस धम्मो सनंतनो आंखों से आंसू उड़ जाएं और गीत खिल जाएं। यह मेरी मौज है। यह तुम्हारी मौज है कि तुम आंसुओं में रस लेना चाहते हो। मैं कौन हूं बाधा देने वाला ! मैं अपना काम किए चला जाता हूं, तुम अपना काम किए चले जाओ। तुम मुझे हरा न सकोगे, क्योंकि मेरी जीत तुम पर निर्भर नहीं है। और यही दृष्टिकोण तुम्हारा हो सारे संबंधों में, तो ही तुम पाओगे कि जीवन एक नए आयाम में प्रवेश करता है - सुख के, महासुख के । तीसरा प्रश्न : कहते हैं, जीवन के कुछ मूल्य हैं, जो देश- काल पर आधारित हैं और कुछ मूल्य शाश्वत । क्या उन पर कुछ प्रकाश डालने की कृपा करेंगे ? शाश्वत तो सिर्फ जीवन का ही मूल्य है – स्वयं जीवन का - बाकी सब मूल्य | सामयिक हैं। जीवन परम मूल्य है। उससे ऊपर कोई मूल्य नहीं । बाकी सब मूल्य जीवन के श्रृंगार हैं। सत्य या अहिंसा या करुणा या अस्तेय, अचौर्य, ब्रह्मचर्य, वे सब जीवन का सौंदर्य हैं, जीवन का श्रृंगार हैं। लेकिन जीवन से ऊपर कोई मूल्य नहीं है । जीवन है परमात्मा । जीवन है प्रभु । तो जिससे भी तुम ज्यादा जीवंत हो सको और जिससे भी तुम्हारा जीवन ज्यादा प्रखरता को उपलब्ध हो, प्रकाश को उपलब्ध हो, वही शाश्वत मूल्य है । इसलिए शाश्वत मूल्य को कोई शब्द नहीं दिए जा सकते। उसको नाम नहीं दिया जा सकता। समय बदलता है, स्थिति बदलती है, मूल्य बदलते जाते हैं। पर एक बात ध्यान में रहे—जीवन जिससे बढ़े, विकसित हो, फैले, ऊंचा उठे। जीवन की आकांक्षा गहनतम आकांक्षा है। उसी आकांक्षा से मोक्ष पैदा होता है, निर्वाण पैदा होता है। उसी आकांक्षा से परमात्मा की खोज, सत्य की खोज पैदा होती है। इसलिए कभी-कभी ऐसा भी हो जाता है कि जीवन के विपरीत, जीवन के विरोध में बात करने वाले लोग भी - विपरीत भी बात करते हैं तो भी जीवन के लिए ही करते हैं। यूनान में एक बहुत बड़ा विचारक हुआ पिरहो। वह कहता था, जीवन में तब तक शांति न होगी जब तक जीवन का अंत न हो । आत्मघात का उपदेश देता था। खुद चौरासी साल तक जीया । कहते हैं, कुछ लोगों ने उसकी मानकर आत्महत्या भी कर ली। मरते वक्त किसी ने उससे पूछा कि पिरहो, तुमने दूसरों को तो सिखाया कि जीवन की परम शांति तभी है जब जीवन का भी त्याग हो जाए, और कई ने 100
SR No.002382
Book TitleDhammapada 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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