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सुख या दुख तुम्हारा ही निर्णय
देखू हिमहीरक हंसते हिलते नीले कमलों पर या मुरझायी पलकों से झरते आंसूकण देखू? सौरभ पी-पीकर बहता देखू यह मंद समीरण दुख की घूटे पीती या
ठंडी सांसों को देखू? कल रात एक जर्मन कवि हेनरिक हेन के संबंध में मैं पढ़ रहा था। हेनरिक हेन थोड़े से उन अदभुत सृजनात्मक कवियों में से एक हुआ, जिन्होंने जीवन के सौंदर्य के बड़े अनूठे गीत गाए हैं। वह जर्मनी के बहुत बड़े दार्शनिक-बड़े से बड़े दार्शनिक-हीगल से मिलने गया था। अमावस की अंधेरी रात थी और आकाश में तारे सुंदर फूलों की तरह फैले थे। वे दोनों खिड़की पर खड़े थे। और हेनरिक हेन ने तारों की प्रशंसा में एक गीत गाया भावविभोर होकर। उसके स्वर गूंजने लगे उस सन्नाटे में। और उसने उन तारों की प्रशंसा में बहुत सी बातें कहीं। ___ हीगल चुपचाप खड़ा सुनता रहा। और जब गीत बंद हो गया तो उसने कहा, बंद करी यह बकवास। मुझे तो तारों को देखकर हमेशा श्वेत कोढ़ की याद आती है। आकाश का सफेद कोढ़। तुमने कभी सोचा? सफेद कोढ़! ___ हेनरिक हेन ने लिखा है कि मैं तो एक सकते में आ गया। यह प्रतीक मेरे खयाल में भी कभी न आया था।
लेकिन सफेद कोढ़ की तरह भी देखे जा सकते हैं तारे। देखने वाले पर निर्भर है। अगर तुम्हें यह समझ में आ जाए, तो सफेद कोढ़ को भी कोई चांदनी के फूलों की तरह देख सकता है। वह भी देखने वाले पर निर्भर है।
जगत में कोई व्याख्या नहीं है। जगत निर्व्याख्य है। व्याख्या तुम डालते हो। आकाश में तारे फैले हैं। कहो सफेद कोढ़, तो जगत इनकार न करेगा। कोई परमात्मा का हाथ न उठेगा कि गलती हुई तुमसे। कोई तुम्हें सुधारने, ठीक करने न आएगा। लेकिन ध्यान रखना, तारे तुम्हारे उस वक्तव्य के कारण कोढ़ न हो जाएंगे, लेकिन तुम कोढ़ से घिर जाओगे। जिसको आकाश के तारों में कोढ़ दिखायी पड़ेगा, वह चारों तरफ कोढ़ से घिर न जाएगा! उसके देखने का ढंग उसके जीवन को कुरूप न कर जाएगा! जिसको चांद-तारों में भी कोढ़ दिखायी पड़ता हो, फिर उसे सौंदर्य कहां दिखायी पड़ेगा? असंभव। उसके जीवन में कुरूपता ही कुरूपता होगी और वह चिल्ला-चिल्लाकर कहेगा कि जैसे मेरे भाग्य में विषाद लिखा है। यह तुमने ही लिख लिया। यह व्याख्या तुम्हारी है। चांद-तारों ने कहा न था कि हमारी ऐसी व्याख्या करो। चांद-तारों पर कोई भी व्याख्या नहीं लिखी है। निर्व्याख्य, अनिर्वचनीय तुम्हारे
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