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एस धम्मो सनंतनो
का निचोड़ हैं । यह कहानी किसी ने गढ़ी नहीं है । इसका कोई लेखक नहीं है। यह निचुड़ी है। यह हजारों-हजारों साल के मनुष्य के अनुभव का निचोड़ है। इसे
खयाल रखना ।
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तुम पूछते हो, 'क्या विषाद की लंबी श्रृंखला ही मेरे भाग्य में लिखी है ?' ऐसा लगता है, विषाद में भी थोड़ा मजा ले रहे हो । लंबी श्रृंखला, विषाद, बड़े बहुमूल्य शब्द मालूम होते हैं । जैसे तुम कोई विशेष काम कर रहे हो। इस गंदगी में रस मत लो। अन्यथा यह गंदगी तुमसे चिपट जाएगी । रस से चीजें जुड़ जाती हैं। फिर तोड़ना मुश्किल हो जाता है।
फिर अगर तुमने विषाद को ही अपना चेहरा बना लिया और इसी के आधार पर लोगों से सहानुभूति मांगी, लोगों का हृदय मांगा, प्रेम मांगा, तो फिर तुम इसे छोड़ कैसे पाओगे ? क्योंकि तब डर लगेगा कि अगर विषाद छूटा, तो यह सब प्रेम भी चला जाएगा। यह सब सहानुभूति, यह लोगों का ध्यान, यह सब खो जाएगा। फिर तो तुम इसे पकड़ोगे । फिर तो तुम इसकी अतिशयोक्ति करोगे। फिर तो तुम इसे बढ़ाओगे। फिर तो तुम इसे बढ़ा-चढ़ाकर दिखाओगे। फिर तो तुम इसे गुब्बारे की तरह फैलाओगे और तुम शोरगुल भी खूब मचाओगे कि मैं बड़ा दुखी हूं, मैं बड़ा दुखी हूं।
लेकिन तुम कभी खयाल करो। जब लोग दुख की चर्चा करते हैं, तुम जरा उनका खयाल करना। वे क्या कहते हैं, उस पर उतना ध्यान मत देना; कैसे कहते हैं, उस पर ध्यान देना; तुम पाओगे, वे रस ले रहे हैं। उनकी आंखों में तुम चमक पाओगे। तुम पाओगे, उन्हें भीतर एक गर्हित सुख मिल रहा है।
जब लोग अपने दुखों का लोगों से वर्णन करने लगते हैं, तब तुम देखो, उनके जीवन में कैसी चमक आ जाती है। वे बड़े कुशल हो जाते हैं वर्णन करने में । लुत्फ ले-लेकर कहने लगते हैं। और अगर तुम उनकी बातों में रस न लो, तो वे दुखी होते हैं। अगर तुम उनकी बातों में रस न लो, तो तुम पर नाराज होते हैं। वे तुम्हें कभी क्षमा न कर पाएंगे।
दूसरों की फिकर छोड़ दो, अपने पर तो खयाल रखना कि जब तुम अपने दुख की चर्चा करो तो भूलकर भी किसी तरह का स्वाद मत लेना, अन्यथा तुम उसी दुख में बंधे रह जाओगे। फिर तुम चिल्लाओगे बहुत, लेकिन छूटना न चाहोगे। फिर तुम कारागृह में रहोगे, शोरगुल बहुत मचाओगे, लेकिन कारागृह के अगर दरवाजे भी खोल दिए जाएं तो तुम निकलकर भागोगे नहीं। अगर तुम्हें बाहर भी निकाल दिया जाए, तुम लौटकर पीछे के दरवाजे से वापस आ जाओगे । तुम्हारा कारागृह बहुत बहुमूल्य हो गया, अब उसे छोड़ा नहीं जा सकता। दुख में किसी तरह की संपत्ति को नियोजित मत करना | और जीवन में दोनों हैं। यहां कांटे भी हैं, फूल भी हैं। अब तुम्हारे ऊपर है कि तुम क्या चुन लेते हो ।
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