________________
तू आप है अपनी रोशनाई
यह सच है कि जब तक मनुष्य अपूर्ण है, तब तक जीवन के रंग-राग उसका
पीछा न छोड़ेंगे। और यह भी सच है-अब जरा कठिनाई होगी समझने में—कि जब तक रंग-राग पीछा न छोड़ दें, तब तक मनुष्य पूर्ण न होगा। विरोधाभासी हो गई बात। मगर मजबूरी है, तथ्य ऐसा ही है। ___असल बात ऐसी है कि तुम जैसे पूछो कि अंडा पहले या मुर्गी पहले। अगर मैं कहं अंडा, तो बात वहीं गलत हो गई, क्योंकि अंडा बिना मुर्गी के आएगा कैसे? कोई मुर्गी रखेगी, तभी तो अंडा होगा। अगर मैं कहूं मुर्गी, तो भी बात गलत हो गई, क्योंकि मुर्गी आएगी कैसे; जब तक कोई अंडा न फूटेगा, मुर्गी प्रगट कैसे होगी?
दार्शनिक सदियों से विचारते रहे हैं : अंडा पहले या मुर्गी? अभी भी विचारते हैं। कोई सिद्ध करता है, मुर्गी; कोई सिद्ध करता है, अंडा। मैं तुमसे कहना चाहता हूं कि अंडा-मुर्गी दो हैं, इस मान्यता में ही भ्रांति है। इसलिए उलटा उलझा हुआ प्रश्न खड़ा हो गया। प्रश्न को देखने में ही भूल हो गई। अंडा और मुर्गी दो नहीं हैं—एक ही चीज के दो कदम हैं। अंडा वह मुर्गी है, जो होने के रास्ते पर है। मुर्गी वह अंडा है, जो हो गया। अंडा और मुर्गी एक ही जीवन-ऊर्जा के दो पड़ाव हैं। इसलिए जब तुम उनको बांटकर पूछते हो कि कौन पहले, तब मुश्किल खड़ी हो जाती है। कौन पहले है?
अगर जीवन का छंद-राग न छूटे तो तुम पूर्ण न होओगे। अगर जीवन पूर्ण न हो तो छंद-राग न छूटेगा। फिर करना क्या है? छंद-राग को समझो। अंडे-मुर्गी की व्यर्थ चिंता में मत पड़ो-छंद-राग को समझो। जैसे-जैसे तुम्हारी समझ जीवन के छंद और राग की, जीवन के भोग की गहरी होगी, वैसे-वैसे छंद-राग छूटेगा; वैसे-वैसे साथ ही साथ युगपत तुम्हारी पूर्णता उभरेगी। इधर छंद-राग छूटेगा, उधर पूर्णता उभरेगी। ये एक ही घटना के दो पहलू हैं। ___ जैसे तुमने पानी को गरम किया, इधर पानी गरम होने लगा, उधर पानी भाप बनने लगता है। पहले पानी गरम होता है सौ डिग्री तक, तब भाप बनता है? या पहले भाप बन जाता है तब सौ डिग्री तक गरम होता है? नहीं, सौं डिग्री तक गरम होते ही दोनों घटनाएं एक साथ घटती हैं : इधर पानी गरम, उधर भाप।
जैसे ही तुम्हारे जीवन के राग-रंग की समझ गहरी होगी-समझ ही, कुछ और करना नहीं है। तुम जो भी कर रहे हो, ठीक ही कर रहे हो तुम्हारी दशा में। निंदा में मत पड़ जाना। निंदा इसलिए खड़ी हो जाती है कि तुमसे बड़ी दशा के लोग उसे व्यर्थ कहते हैं। ___ यह ऐसा ही है जैसे छोटा बच्चा खिलौनों से खेल रहा है। तुम पहंच गए और तुमने कहा, क्या बेवकूफी कर रहा है ? बंद कर! खिलौनों में क्या सार है ? लेकिन तुम ठीक बात नहीं कह रहे। तुम्हारी अवस्था में खिलौनों में कोई सार न रहा, लेकिन बच्चे की अवस्था में सार है। और अगर बच्चे से जबरदस्ती खिलौने छीन लिए गए
55