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एस धम्मो सनंतनो
एक बात सदा ध्यान रहे कि तुम रोज नए होते चले जाओ। एक बात सदा ध्यान रहे कि तुम्हारे ऊपर जंग इकट्ठी न हो, विचारों की धूल न जमे, शास्त्र तुम्हारे ऊपर बोझिल न हों, तुम मुक्त रहो। ___ जो मुक्त है वही मोक्ष पा सकेगा। और मुक्त होने का अर्थ सब दिशाओं में मुक्त होना है। तुम सोचते हो कि मोक्ष मिल जाएगा अगर हम जीवन को व्यवस्था दे दें, तो तुम गलती में हो। तुम्हारी व्यवस्था तुम्हारा कारागृह बनेगी; सुरक्षित रहोगे तुम, लेकिन मर चुके होओगे। ___तो जिसे चुनना हो, चुनाव सुरक्षा-असुरक्षा के बीच नहीं है, चुनाव सुरक्षा और जीवन के बीच है। सुरक्षा चुनी तो मौत चुनी। अगर जीवन को चुनना हो तो असुरक्षा चुननी पड़ेगी।
असुरक्षा का अर्थ है : हम रोज तैयार हैं। पता नहीं क्या होगा, पता नहीं कहां होंगे, पता नहीं कैसे होंगे! लेकिन अभी से फिक्र भी क्या करें! जब वह घड़ी आएगी, तब हम होंगे और हम अपने पूरे जीवन से उस घड़ी का मुकाबला करेंगे; अपने पूरे जीवन से, अपने पूरे होश से उस घड़ी को सुलझाने की चेष्टा करेंगे, उस घड़ी के पार होने की चेष्टा करेंगे, अतिक्रमण जारी रहेगा। तब तुम एक दिन पाओगे कि यह सातत्य नए होने का, यही चिरजीवन है, यही शाश्वत जीवन है। एस धम्मो सनंतनो!
फजा नीली-नीली हवा में सुरूर
ठहरते नहीं आशियां में तयूर जब आकाश नीला-नीला हो
फजा नीली-नीली हवा में सुरूर और हवाओं में मस्ती हो और निमंत्रण हो
ठहरते नहीं आशियां में तयूर तब घोंसलों में नहीं टिकते पक्षी जिनके पास पंख हैं।
अस्पतालों की छोड़ दो, अगर तुम्हारा घर अस्पताल नहीं है। कारागृहों की छोड़ दो, अगर तुम्हारा घर कारागृह नहीं है।
ठहरते नहीं आशियां में तयूर जिसके पास पंख हैं, वह पंखों को तौलता है आकाश में। __ पंख और आकाश के बीच एक महत आकर्षण है। और ध्यान रखना, तुम ही नहीं हो कि जब तुम पंखों को खोलते हो तो प्रसन्न होते हो, आकाश भी प्रसन्न होता है। जिस दिन आकाश में कोई पक्षी नहीं उड़ते, उस दिन आकाश की उदासी देखो! जिस दिन बगुलों की कतारें आकाश को चीर जाती हैं रजत-धार की भांति, उस दिन आकाश की प्रसन्नता देखो! जिस दिन पक्षी नहीं गाते, उस दिन आकाश की पीड़ा देखो! जिस दिन पक्षी गाते हैं, उस दिन आकाश का नृत्य देखो! . एक संवाद चल रहा है-व्यक्ति में और समष्टि में, अणु में और विराट में,
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