________________
तू आप है अपनी रोशनाई
प्रतिपल जो वस्तुतः जीता है, तुम उसे बदलता हुआ पाओगे। पत्थर पड़े रह जाते हैं अपनी जगह, वृक्ष तो न पड़े रह जाएंगे-उठते हैं! वृक्ष खड़े रह जाते हैं अपनी जगह, पशु-पक्षी तो न रह जाएंगे। ___मैंने सुना है कि एक शेखचिल्ली ने एक दुकान से मिठाई खरीदी। रुपया दिया, आठ आने वापस चाहिए थे, लेकिन फुटकर न थे। तो दुकानदार ने कहा, कल सुबह ले लेना। उस शेखचिल्ली ने चारों तरफ देखा और उसने कहा, पक्का कर लेना जरूरी है, कहीं बदल जाए! कोई फिर चीज खोज लेनी चाहिए। उसने खोज ली। दूसरे दिन सुबह आया और दुकानदार से कहा कि मुझे पहले ही पता था! आठ आने के पीछे गजब कर दिया तुमने।
उस आदमी ने पूछा, क्या मामला है? उसने कहा, आठ आने वापस लौटाओ। रात मिठाई खरीदी थी। उसने कहा, तुम होश में हो? यह नाईबाड़ा है, यहां मिठाई कैसी?
उसने कहा, मुझे रात ही शक था। मगर आठ आने के पीछे यह मैंने न सोचा था कि तुम धंधा ही बदल दोगे। मगर मैं भी होशियार हूं। देखा नहीं, सांड जहां बैठा है वहीं का वहीं बैठा है! रात ही मैंने खयाल कर लिया था कि कोई चीज देख लो जिसको तुम धोखा न दे पाओ। यह सांड यहीं बैठा था। मैं देख गया था। सांड वहीं बैठा है।
रात में सांड हट गया। सांड जीवित है।
जो रुक गए हैं—जैन होकर, बौद्ध होकर, ईसाई होकर उन्हें पता नहीं कि जिस दुकान से मिठाई मिली थी, वह दुकान अब वहां नहीं है, नाईबाड़ा है। मुर्दा शब्दों में अटके रह गए हैं। जहां बुद्ध पुरुष थे अब वहां सिर्फ उनकी अस्थियां पड़ी हैं; अब वहां कुछ भी नहीं है। अब तुम राख की पूजा करते रहो। ___मैं जानता हूं तुम्हारी तकलीफ ः तुम आशियां परस्त हो। तुम चाहते हो, मैं तुम्हें कुछ बंधी हुई धारणा दे दूं और तुम झंझट से छूटो और तुम अपना घर बना लो और तुम मजे से फिर उसमें रहो। . कहानियां होती हैं न, पुरानी कहानियां--ऐसा कहीं होता तो नहीं लेकिन कहानियों में लिखा होता है कि राजकुमार ने राजकुमारी से शादी कर ली, फिर दोनों सदा सुख से रहे। ऐसा कहीं होता-करता नहीं है। मगर इसके आगे कोई कहानी नहीं जाती, क्योंकि फिर खतरा है। फिल्में भी यहीं खतम हो जाती हैं। शहनाई वगैरह बजी, बाजे वगैरह बजे—इसके बाद अंधेरा। असली जिंदगी वहीं शुरू होती है। __ तुम तो चाहते हो, कहीं तुम घर बना लो, फिर सदा सुख से रहें। सदा सुख से रहने का मतलब होता है : मरना। जीवन में तो रोज संघर्ष होंगे, चुनौतियां होंगी। जीवन तो रोज की विजय-यात्रा है। रोज-रोज कुरुक्षेत्र है जीवन का। और जिसने इसे समझ लिया, फिर उसे कोई दुखी नहीं कर पाता; फिर हर दुख को वह अपने सुख में बदल लेता है और हर राह के पत्थर को सीढ़ी बना लेता है।
51