________________
तू आप है अपनी रोशनाई
प्रफुल्लित होना। जो समझ में न आए उसके लिए प्रतीक्षा करना। उलटा मत कर लेना कि जो समझ में नहीं आया उसको बोझ बना लो और जो समझ में आए उसे कोने में रख दो, तो तुम कहीं जा न पाओगे। धीरे-धीरे तुम पाओगे: जो एक दिन समझ में आता मालूम पड़ता था, वह भी जंग खा गया, अब वह भी काम का नहीं रहा। ठीक दिशा में ध्यान रखना।
यह पतझर पथ मधुमासों का . यह संशय अथ विश्वासों का - यह धरती रथ आकाशों का
जब पतझर दिखाई पड़े, तब भी तुम मधुमास ही देखना। क्योंकि मधुमास आ रहा है।
यह पतझर पथ मधुमासों का जो ठीक से देखता है, सम्यक दृष्टि जिसे उपलब्ध हुई है, वह पतझर से भी पीड़ित नहीं होता। वह कहता है, मधुमास आता ही होगा।
यह पतझर पथ मधुमासों का एक द्वार बंद होता है तो वह जानता है कि दूसरा खुलता ही होगा।
यह संशय अथ विश्वासों का वह संशय में भी छिपी हुई विश्वास की खोज को पकड़ लेता है। असम्यक-दृष्टि विश्वास से भी संशय ही पैदा करता है। सम्यक-दृष्टि संशय में भी विश्वास के किनारे को पकड़ लेता है। __इसे थोड़ा समझने की कोशिश करो। यह तुम पर निर्भर है। तुम खड़े हो सकते हो गुलाब की झाड़ी के पास और कांटे गिन सकते हो-कांटे वहां हैं। और अगर तुम कांटों में बहुत उलझ जाओ, हाथ-पैर लहूलुहान हो जाएं, तो तुम फूल को देख ही न पाओगे। क्योंकि उस दुखद अवस्था में कैसा फूल? फूल सिर्फ एक रंगीन धब्बा मालूम पड़ेगा। शायद उस गुलाबी फूल में भी तुम्हें रक्त का ही दर्शन हो। क्योंकि तुम्हारे हाथ खून से भर गए होंगे, और तुम्हारी आंखें क्रोध से भर गई होंगी, और तुम्हारे मन में एक नाराजगी होगी कि इतने कांटे बनाने की जरूरत क्या थी! और जब इतने कांटे हैं तो तुम कैसे भरोसा करो कि फूल होगा। कांटों में कहीं फूल हो सकता है? फूल तो फूलों में होते हैं, कांटों में कैसे होंगे? और जिसने इतने कांटे बनाए उसने फूल बनाया ही न होगा। __फिर दूसरा कोई व्यक्ति है जो फूल को देखता है, फूल को छूता है; नासापुटों को भरता है फूल की गंध से। और फूल में अदृश्य के उसे दर्शन होते हैं, झलक मिलती उसकी, जिसको पकड़ पाना मुश्किल है। एक अनूठा सौंदर्य फूल में उतरा है! ऐसे व्यक्ति को यह भरोसा करना मुश्किल होगा कि ऐसी गुलाब की झाड़ी में जहां इतने अनूठे फूल लगते, कांटे हो कैसे सकते हैं। और अगर कांटे होंगे, और
46