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एस धम्मो सनंतनो
थोड़ा सोचोः अगर तुम्हारा प्रेम किसी स्त्री से है या किसी पुरुष से है, ध्यान की अवस्था से शुरू हो, तो तुम्हारे जीवन में ऐसे फूल लगेंगे, तुम्हारा संग-साथ ऐसा गहरा होगा, तुम्हारा संग-साथ ऐसा हो जाएगा कि दो न बचेंगे, जाओगे। कामवासना की उथल-पुथल में तुम्हारी प्रेम की यात्रा शुरू होती है, नरक में बीज पड़ते हैं- और बड़ा नरक उससे निकलता है।
एक हो
प्रेम की यात्रा भी ध्यान से शुरू हो तो शुभ मुहूर्त में शुरू हुई। किसी से मित्रता मुहूर्त में हो, शुभ मुहूर्त में हो, ध्यान के क्षण में हो, तो यह मित्रता टिकेगी, यह पारगामी होगी, यह परलोक तक जाएगी। यह मित्रता टूटेगी न। संसार के झंझावात इसे मिटा न पाएंगे। तूफान आकर इसे और सुदृढ़ कर जाएंगे, क्योंकि इसकी गहराई इतनी है, इसकी जड़ें इतनी गहरी हैं, ध्यान से उठी हैं।
तो पूरब के लोगों ने धीरे-धीरे यह रहस्यपूर्ण राज खोज लिया था कि अगर तुम निर्विचार अवस्था में कोई काम शुरू करो तो आशीर्वाद ही आशीर्वाद उपलब्ध होते हैं। वह बात तो खो गई। मुहूर्त का अर्थ ही खो गया।
मुहूर्त बड़ा अनूठा शब्द है। समय के दो क्षणों के बीच में जो समयातीत जरा सी झलक है, वही मुहूर्त है। मुहूर्त समय का कोई नाप-जोख नहीं है, समय के बाहर की झलक है। जैसे क्षणभर को बादल हट गए हों और तुम्हें चांद दिखाई पड़ा, फिर बादल इकट्ठे हो गए - ऐसे क्षणभर को तुम्हारे विचार हट गए और तुम स्वयं को दिखाई पड़े, भीतर की रोशनी अनुभव हुई। उसी रोशनी में पहला कदम उठे तो यात्रा शुभ हुई— वह कोई भी यात्रा हो - उस यात्रा में फिर दुर्घटनाएं न होंगी। उस यात्रा दुर्घटनाएं भी होंगी तो भी सौभाग्य सिद्ध होंगी। उस यात्रा में अभिशाप भी मिलेंगे तो आशीर्वाद बन जाएंगे; तुम ठीक-ठीक क्षण में चले !
लोग बीज बोते हैं, किसान खेत में बीज बोता है, तो शुभ मुहूर्त की प्रतीक्षा में । अब तो वैज्ञानिक भी कहते हैं कि बीज भी तुम्हारी भाव- दशा से अनुप्राणित होता है । तुमने ऐसे ही लापरवाही से बो दिया तो तुम्हारी लापरवाही के निशान बन जाएंगे। तुमने बड़े प्रेम से बोया तो तुम्हारे प्रेम के निशान बन जाएंगे। अब तो वैज्ञानिक भी कहते हैं कि प्रेम से बोए गए बीज जल्दी पौधे बन जाते हैं। ऐसे ही उपेक्षा से बो गए बीज जल्दी पौधे नहीं बनते : क्या जल्दी है ? किसको प्रसन्न करना है ? घृणा से बोए गए बीज अपंग रह जाते हैं, पौधे जराजीर्ण होते हैं। अहोभाव से बोए गए बीज अनुभव करते हैं तुम्हारे प्रेम को भी । और शुभ मुहूर्त में बोए गए, अर्थात ध्यान के क्षण में बोए गए, तब यह अन्न भी इन बीजों से पैदा होगा तो ब्रह्म होगा ।
धीरे-धीरे बड़ी प्राचीन प्रतीतियां भी वैज्ञानिक आधार लेती जाती हैं। अब वैज्ञानिक कहते हैं कि भोजन बनाने वाले व्यक्ति की मनस दशा पर भोजन का गुणधर्म तय होता है । इस देश में तो हम सिर्फ ब्राह्मण से भोजन बनवाते थे । ब्राह्मण का अर्थ है : जिसने ध्यान का रस जाना हो, जिसने मुहूर्त देखे हों । उसका कोई अर्थ
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