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स्थितप्रज्ञ, सत्पुरुष है
ही वरदान मानना । और तुम्हारे मिलने से किसी का कम न हो, उसे ही धर्म मानना । तो कुछ ऐसी संपदाएं हैं, जो तुम्हें मिल जाती हैं और किसी की छिनतीं नहीं । समझो; तुम्हारे जीवन में प्रेम बढ़ जाए तो इसका यह अर्थ नहीं है कि इस जमीन पर कुछ लोगों का प्रेम छिन जाएगा क्योंकि तुम्हारे पास ज्यादा प्रेम की संपदा आ गई; कि कुछ लोगों के प्रेम के सिक्के छिन जाएंगे। नहीं, उलटी हालत है; तुम्हारे पास अगर प्रेम बढ़ जाए तो दूसरों के पास भी प्रेम के बढ़ने की संभावना बढ़ जाएगी। क्योंकि तुम इस जगत के एक अनिवार्य हिस्से हो। तुम्हारा दीया अगर भीतर का जलने लगे तो बहुतों को दीया जलाने की आकांक्षा जग जाएगी, भरोसा आ जाएगा। तुम्हारा अगर ध्यान बढ़ जाए तो ऐसा थोड़े ही है कि किसी की अशांति बढ़ेगी तुम्हारे ध्यान के बढ़ने से ! तुम्हारे ध्यान के बढ़ने से किसी का कुछ छिनता नहीं। और अगर कोई समझदार हो तो तुम से बहुत कुछ पा सकता है। अन्यथा
कली कोई जहां पर खिल रही है। वहीं एक फूल मुरझा रहा है
अगर तुमने इस संसार की संपदा में बहुत रस लिया, तो तुम कहीं एक कली खिला लोगे तो तुम पाओगे कि कोई फूल कहीं दूसरी जगह मुर्झा गया। तुम तिजोड़ी भर लोगे तो तुम पाओगे, किन्हीं की तिजोड़ियां खाली हो गयीं । तुम पदों पर पहुंच जाओगे तो तुम पाओगे कि कोई पराजित कर दिए गए, कोई पदों से नीचे गिर गए। तुम्हारे सुख में न मालूम कितने लोगों का दुख छिपा होगा।
ऐसा सुख दो कौड़ी का है, जिसमें दूसरे का दुख छिपा हो। ऐसा सुख व्यर्थ है, जिसमें दूसरे के खून के दाग हों।
और मजा यह है कि ना- कुछ के लिए ! मिलता कुछ भी नहीं है । पद पर बैठ जाओ तो भी तुम तुम ही हो । कितने ही ऊंचे पद पर बैठ जाओ, तुम तुम ही हो । चांद-तारों पर बैठ जाओ, तो भी तुम बदल न जाओगे ।
तुम बदलो तो तुम जहां बैठे हो, वहीं सिंहासन हो जाते हैं। और वे सिंहासन किसी से छीनने नहीं पड़ते। तुम बदलो तो तुम जहां चलते हो, वहीँ तीर्थ बन जाते हैं। तुम बदलो तो तुम्हारे चारों तरफ का माहौल भी तुम अपने साथ बदल लेते हो। तुम एक नई दुनिया का सूत्रपात हो जाते हो ।
हां, खाइयो मत फरेबे - हस्ती
हरचंद कहें कि है, नहीं है
नहीं
इस जिंदगी के धोखे में मत आना । कितना ही यह जिंदगी कहे कि मैं हूं, है। इस सब को छीन लेती है। एक सपना है खुली आंख देखा गया ।
तुमसे पहले बहुत लोगों ने यह सपना देखा है। कहां हैं वे सारे लोग ? मिट्टी में खो गए। तुम भी उन्हीं जैसे सपने देख रहे हो, उन्हीं जैसे मिट्टी में खो जाओगे । समय रहते कुछ कर लो। कुछ ऐसे सूत्र को पा लो, जो खोता नहीं, जो शाश्वत है - एस
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