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________________ स्थितप्रज्ञ, सत्पुरुष है झूठ सरकता है। अगर तुम याद न रखो, बार-बार लौट-लौटकर याद न करो, तो तुम खुद ही भूल जाओगे। तुम खुद ही झंझट में पड़ जाओगे। सत्य को याद रखने की भी जरूरत नहीं। जो है, उसे याद रखने की क्या जरूरत? वर्षों बाद भी याद आ जाएगा। जब जरूरत होगी याद आ जाएगा। उससे अन्यथा याद आने का कोई कारण नहीं। सत्य बोलने वाले आदमी का मन निर्भार होता है। जो निर्भार होता है, वह आकाश में उड़ सकता है। झूठ बोलने वाला आदमी अपने गले में पत्थर लटकाए चला जाता है। फिर आकाश में उड़ना चाहता है तो कैसे उड़े? ये पत्थर जान ले लेते हैं। एक झूठ बोले, तुमने आत्मा का एक कोना खराब कर दिया। मंदिर में तुम गंदगी ले आए। फूल को तुमने पत्थर से ढांक दिया। सड़ेगा यह फूल अब; इसके जीवन में अब तुमने अवरोध खड़ा कर दिया। तुमने झरने की सहज धारा को खंडित कर दिया। तुमने एक चट्टान अड़ा दी। ____जरा सी चोरी कर लो-और ध्यान रखना, चोरी जरा सी और बड़ी नहीं होती। जरा सी, बड़ी ही है। सभी चोर यही सोचकर चोरी करते हैं कि इतनी सी से क्या -- बनता-बिगड़ता है? तुमने कभी खयाल किया, चोरी का, झूठ का गणित क्या है? झूठ सदा यही कहता है, इतना सा है, क्या बनता-बिगड़ता है? और आज बोल लिए, कोई सदा थोड़े ही बोलना है! एक दफा सम्हल गई बात, सम्हल गई। चोरी भी यही कहती है, इतनी सी है! दो पैसे की चोरी और दो करोड़ रुपए की चोरी में कोई फर्क नहीं है। चोरी चोरी है; छोटी-बड़ी नहीं होती। छोटा-बड़ा झूठ भी नहीं होता। झूठ सिर्फ झूठ है; छोटा-बड़ा कैसे होगा? सत्य सत्य है, न छोटा होता है, न बड़ा होता है। न झूठ छोटा होता है, न बड़ा होता है। न चोरी बड़ी होती है, न छोटी होती है। मगर मन समझाए चला जाता है कि इतना सा झूठ है, क्या बनता-बिगड़ता है? इतनी सी चोरी है, कर लो, कल दान कर देंगे। और ध्यान रखना, फिर तुम कितना ही भला करो, बुरे को अनकिया करने का उपाय नहीं है। भले से अच्छा नहीं होगा वह। यह तो ऐसे ही हुआ, मैंने सुना है, इंग्लैंड का सम्राट अपने एक वजीर को राजदूत बनाकर फ्रांस भेजना चाहता था। वजीर का नाम मूर था। लेकिन वह डरा हुआ था, क्योंकि वह फ्रांस का सम्राट जो था, थोड़ा झक्की किस्म का था। और तनाव की अवस्था थी इंग्लैंड और फ्रांस में। तो मूर ने कहा कि आप मुझे भेज तो रहे हैं, लेकिन वह आदमी ऐसा पगला है कि किसी भी दिन भरे दरबार में गर्दन उतार ले सकता है मेरी। तो इंग्लैंड के सम्राट ने कहा, तू बिलकुल फिक्र मत कर। अगर तेरी गर्दन काटी गई तो जितने फ्रांसवासी इंग्लैंड में हैं, सबकी गर्दन उसी दिन काट डाली जाएगी। तू
SR No.002381
Book TitleDhammapada 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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