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एस धम्मो सनंतनो
है अनिश्चित किस जगह पर सरित गिरि गह्वर मिलेंगे सूचनाएं दी जा सकती हैं, लेकिन प्रत्येक व्यक्ति बड़ा अलग है, बड़ा भिन्न है। इसलिए तुम्हें जहां पहाड़ मिलेंगे, वहां दूसरे को न मिलें। और तुम्हें जहां जड़ता मिले, वहां दूसरे को न मिले। निर्भर करता है कि तुम्हारे जीवन की आदतें कैसी हैं, तुम्हारे जीवन का ढांचा कैसा था। जो आदमी पहाड़ पर ही रहता रहा है, उसको पहाड़ पर जड़ता मालूम न पड़ेगी; उसे पहाड़ पर सब ठीक है। तुम जाओगे, जड़ता मालूम पड़ेगी। तुम बाजार में रहे हो। तुम बाजार के कीड़े हो। तब बहुत कठिनाई होगी। पहाड़ वाले आदमी को बाजार में ले आओ, उसे विक्षिप्तता मालूम पड़ेगी; यह पागलपन हो रहा है। वह भाग जाना चाहेगा।
गुरजिएफ अपने शिष्य आस्पेंस्की पर प्रयोग कर रहा था। तीन महीने तक उसे निपट मौन में रखा, पूर्ण मौन में रखा, एक एकांत मकान में; बाहर न जाने दिया। न बोलना, न सोचना, न पढ़ना; आंख के इशारे भी बंद थे। किसी तरह का इशारा भी भाषा है। गुरजिएफ ने तीस लोग चुने थे प्रयोग के लिए, सत्ताइस को पंद्रह दिन के भीतर विदा कर दिया। कुछ तो खुद भाग गए घबड़ाकर, कुछ जो न भागे, उनको उसने विदा कर दिया। क्योंकि वह पूरे वक्त घूमता रहता मकान के भीतर। और कहना उसका यह था कि अगर मुझे तुम देखो भी तुम्हारे पास से निकलते हुए तो तुम ऐसे ही रहो, जैसे कोई नहीं निकल रहा। अगर तुम्हारा पैर मेरे पैर पर भी पड़ जाए तो क्षमा मांगने का भाव भी मत उठाना, क्योंकि कोई यहां है ही नहीं, तुम अकेले हो। इतना एकांत, मौन! ___तीन आदमी बचे। तीन महीने पूरे होने पर उन तीनों को गुरजिएफ नगर में ले गया। आस्पेंस्की ने अपने संस्मरण में लिखा है कि बाजार में जाकर मुझे ऐसा लगा कि यह सारी दुनिया इतनी पागल है, इसका मुझे पहले पता ही न था। पागल पागलों से बात कर रहे हैं, पागल दुकान चला रहे हैं, पागल सामान खरीद रहे हैं, पागल चले जा रहे हैं, यह क्या हो रहा है? उसने गुरजिएफ का हाथ पकड़ लिया। उसने कहा, मुझे वापस! यहां तो मैं पागल हो जाऊंगा; यह तो पागलखाना है।
तीन महीने अगर तुम मौन, शांति को अनुभव किए हो, हिमालय उतरा भीतर, तो सारा संसार तुम्हें पागल मालूम पड़ेगा।
तुम पर निर्भर है कि तुम्हारी क्या स्थिति, क्या आदत, कैसा जीवन का ढांचा, कैसी व्यवस्था, क्या शैली रही है।
है अनिश्चित किस जगह पर सरित गिरि गह्वर मिलेंगे है अनिश्चित किस जगह पर बाग वन सुंदर मिलेंगे
किस जगह यात्रा खतम हो जाएगी यह भी अनिश्चित हरेक की अलग-अलग जगह होगी। भीतर तो एक ही घटेगा यात्रा के अंत पर, पर बाहर बड़ी अलग-अलग स्थितियां होंगी।
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