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एस धम्मो सनंतनो
मेरा ही था। पहली दफा कटघरा दिखाई पड़ता है। पहली बार चारों तरफ के सींखचे दिखाई पड़ते हैं। कल तक तो वह इसे घर ही समझा था, इसी में उछल-कूद लेता था। इसे ही जीवन समझा था, इसी में थोड़ी चहलकदमी कर लेता था, शोरगुल कर लेता था। समझा था, यही सब है
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कल्याण मित्रों के पास... बुद्ध ने भिक्षुओं का संघ बनाया, सिर्फ इसीलिए; कोई संगठन के लिए नहीं । संगठन से धर्म का क्या लेना-देना! संगठन तो धर्म का विरोधी है । बुद्ध ने भिक्षुओं का संघ बनाया - एक परिवार, जिसमें कारागृह में बंद व्यक्तियों को कारागृह के बाहर के पक्षियों का थोड़ा साथ मिल जाए। इसको हमने सत्संग कहा है। ताकि किसी और को देखकर तुम्हें भी अपने घर की याद आ जाए। तुमने कभी खयाल किया! अगर तुम परदेश में हो, वर्षों से परदेश में हो, अपनी भाषा भी नहीं बोल सकते, भूल ही गए हो, और अचानक किसी दिन तुम्हें अपने देश का कोई वासी मिल जाए, कैसे गले मिलकर तुम मिलते हो ! कोई परिचय भी नहीं है इससे । इसे तुमने कभी देखा भी न था पहले। अपने देश में भी तुमने इसे कभी न जाना था। लेकिन वही रूप-रंग, वही आंख, वही ढंग — तत्क्षण तुम्हारी भाषा लौट आती है। तुम कैसे घुल-मिलकर इससे बात करते हो, जैसे जन्मों-जन्मों बिछुड़ा कोई प्यारा मिल गया हो। अपरिचित आदमी है, लेकिन तुम्हारे देश का है, तुम्हारी भाषा बोलता है।
ठीक ऐसी ही घटना घटती है, जब तुम किसी सत्संग की धारा में पड़ जाते हो । तुम्हें अपने देश के लोग मिल गए। तुम्हें घर की तरफ लौटते लोग मिल गए। इनकी मौजूदगी तुम्हारे भीतर सोई हुई यादों को जगा देगी। तुम्हारे पंख फड़फड़ाने लगेंगे। तुम्हारे जीवन में तुलना पैदा होगी। और तुम अब तक जिसे जीवन कहते थे, वह व्यर्थ दिखाई पड़ने लगेगा। लेकिन थोड़ा स्वाद चाहिए। भीतर का स्वाद मिल जाए, बाहर व्यर्थ हो जाता है।
निश्चित ही सत्पुरुष सभी छंद - राग छोड़ देते हैं। भीतर का छंद मिल गया, छंदों का छंद मिल गया ।
जिंदगी रक्स में है दोश पे मैखाना लिए तिश्नगी खुद है छलकता हुआ पैमाना लिए
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और जब जिंदगी खुद नाच रही हो भीतर !
जिंदगी रक्स में है दोश पे मैखाना लिए
और अपने कंधे पर ही मयखाना लिए जिंदगी खुद भीतर नाचती हो !
तिश्नगी खुद है...
और प्यास खुद हाथों में छलकता पैमाना लिए खड़ी हो, फिर बाहर की मधुशालाएं, फिर बाहर के नृत्य धीरे-धीरे दूर होते जाते हैं, दूर की आवाज होते जाते हैं। धीरे-धीरे, जैसे तारों जितना फासला तुम्हारे और उनके बीच हो जाता है। वह