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अश्रद्धा नहीं, आत्मश्रद्धा
बोधिधर्म तो दुश्मन मालूम पड़ता है बुद्ध का। तो तुम चूक गए; तो तुम धर्म की पहेली को समझने से चूक गए। यह बोधिधर्म ही उनका अनुयायी है; यही उनको समझा, इसी ने पहचाना है। जब यह आग में डालता होगा धम्मपद को, तब बुद्ध ऊपर से फूल बरसाते होंगे। ___ मैं भी धम्मपद को आग में ही डाल रहा हूं-जरा और ढंग से; आग जरा सूक्ष्म है। क्योंकि बोधिधर्म ने जिस आग में डाला है, उसमें से तो बचाया जा सकता है। पानी छिड़क दो, आग बुझ जाएगी। जली-बुझी किताब लेकर भाग खड़े हो जाओ, उसी की पूजा चलती रहेगी। मैं कुछ और भी सूक्ष्म आग में डाल रहा हूं, जिसमें से धम्मपद धम्मपद होकर निकल ही न सकेगा। और तुम उसे बचा भी न सकोगे। क्योंकि तुम समझोगे कि व्याख्या हो रही है, मैं जला रहा हूं।
शास्त्र को जलाने की यही तरकीब मैंने सोची। आग में तो जलाए गए, लेकिन जले नहीं; लोगों ने बचा लिए। पूरे न बचे, अधूरे बचा लिए। जो अधूरे जल गए थे आग में, उनको प्रक्षिप्त करके जोड़ दिया, और भी उपद्रव हो गया।
कुछ ऐसी आग से गुजारना है कि शास्त्र जल भी जाए, तुम बचा भी न पाओ। और जो भी शास्त्र में बचाने योग्य था, वह बच भी जाए—वह सदा बच जाता है, कोई आग उसे जला नहीं सकती। __धम्मपद आग में जलाया जा सकता है, धर्म तो नहीं जलाया जा सकता। धम्मपद जलाया जा सकता है, धर्म को कैसे जलाओगे? जो नहीं जलता, वही धर्म है। जो सब जलने के पार बच जाता है, वही धर्म है।
इसलिए जो शास्त्रों को बचाने में लगा है, उसे धर्म का पता ही नहीं है। जो बचाना पड़ता है, जिसे बचाना पड़ता है, वह तो धर्म है ही नहीं।
'जो श्रद्धा से रहित है।'
बुद्ध ने किसी मंदिर, किसी शिवालय में सिर न झुकाया, इसलिए नहीं कि सिर झुकाने की तैयारी न थी; ये मंदिर, ये शिवालय सिर झुकाने के योग्य ही न थे। और यहां जो लोग सिर झुका रहे थे पंक्तिबद्ध, वे जरा भी सिर न झुका रहे थे, वे सिर्फ एक झूठा खेल कर रहे थे, एक अभिनय चल रहा था। झुकते थे और जरा भी नहीं झुकते थे।
दैरो-हरम में सर झुके, सर के लिए यह नंग है
झुकता है अपना सर जहां, वह दरो-आस्तां है और ___ इन पंक्तियों को जिसने भी लिखा होगा, बुद्ध की धारणा को समझकर ही लिखा होगा। बुद्ध ने कहा है कि मंदिर और मस्जिद में सिर झुके, यह अपमान है तुम्हारे भीतर के परमात्मा का। तुम चैतन्य को मिट्टी-पत्थर के सामने झुका रहे हो? तुम सम्राट को अपने ही बनाए खिलौनों के सामने झुका रहे हो? ।
बुद्ध ने कहा था, मेरी मूर्तियां मत बनाना, क्योंकि तुम बनाओगे तो तुम झुकने
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