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एस धम्मो सनंतनो
तुम्हारे भीतर कोई प्रेम का प्रवाह आने लगेगा। तुम्हारे भीतर कोई लोरी गाने लगेगा। तुम्हारे हृदय की बीन पर कोई अंगुलियां संगीत को छेड़ने लगेंगी। तुम्हारे दुख से भरे जीवन में सुख की कोई तरंग आने लगेगी।
वे तुम्हें दिखाई पड़ सकती हैं, क्योंकि ज्ञान हो या करुणा हो, दोनों तुमसे संबंधित होंगी; समाधि तुमसे बिलकुल असंबंधित है। पर समाधि के बिना ये दोनों नहीं घटती हैं। इसलिए बुद्ध ने कहा, जहां करुणा हो और जहां प्रज्ञा हो, जानना कि समाधि भी है। क्योंकि समाधि पहले हो, तब ये दोनों होती हैं।
ध्यान को सम्हालो पहले, ताकि किसी दिन करुणा में बांट सको। ध्यान को सम्हालो पहले, ताकि किसी दिन प्रज्ञा में उसकी ज्योति जले। निश्चित ही लोग बहुत पीड़ित हैं, चारों तरफ दुख है। ___तो जब मैं कहता हूं कि ध्यान को सम्हालो, तो मैं यह नहीं कह रहा हूं कि तुम करुणा को खो दो; तुमसे यह कह रहा हूं कि अभी करुणा का मौका तो आने दो, मेघ तो बनो। वर्षा तो हो जाएगी। असली बात मेघ का बनना है। गर्भ तो हो, जन्म तो हो जाएगा।
भुनती वसुधा तपते नभ दुखिया है सारा अगजग कंटक मिलते हैं प्रतिपग जलती सिकता का यह मग बह जा बन करुणा की तरंग
चौथा प्रश्नः
आप कहते हैं, जीवन में कुछ भी अकारण और व्यर्थ नहीं है, सब का उपयोग है। जीवन में कामना और भय का उपयोग दिखाई पड़ता है। क्या बताने की कृपा करेंगे कि वैसे ही ईर्ष्या, द्वेष और घृणा का क्या उपयोग है?
अनुप यो गी अस्तित्व में कुछ भी नहीं। तुम पहचान पाओ, न पहचान
--पाओ, यह बात दूसरी है। अनुपयोगी हो ही नहीं सकता, उपयोगी ही हो सकता है। सारा अस्तित्व जुड़ा है। हर चीज दूसरी चीज से उलझी है, बंधी है, अलग-अलग नहीं है। और दुर्घटना तो होती ही नहीं। जो भी होता है, उसकी कोई गहन संगति है।
इसलिए अगर तुम्हें कभी ऐसा लगता हो कि कोई बात ऐसी है जिसका कोई
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