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एस धम्मो सनंतनो
ही साथ पैदा हुई हैं और साथ ही साथ मर जाती हैं ।
साधना की जरूरत को कोई बड़ा सौभाग्य मत समझ लेना । कोई दवाई की बोतल को सिर पर लेकर शोभायात्रा मत निकाल देना; वह केवल रोग की खबर है। तुम्हारे घर में चिकित्सक रोज-रोज आता है, इसे तुम ऐसा मत समझ लेना कि तुम बड़े महिमाशाली और सौभाग्यशाली हो ।
एक अत्यंत हिंदू बुद्धि के व्यक्ति मुझे मिलने आए थे; कहने लगे, भारत भूमि बड़ी सौभाग्यशाली है। मैंने कहा, कारण ? कहने लगे, देखो, हिंदुओं के चौबीस अवतार, जैनों के चौबीस तीर्थंकर, बुद्धों के चौबीस बुद्ध, सभी यहां हुए।
मैंने कहा, यह तो दुर्भाग्य मालूम होता है। इतने तीर्थंकर, इतने अवतार, इतने बुद्ध पैदा होते हैं, इतने चिकित्सक आते हैं; बीमार की हालत बड़ी बुरी है। साफ है बड़ा दुर्भाग्य होगा। इतने बार चिकित्सक आते हैं और चिकित्सकों की जरूरत बनी ही रहती है, इसे तुम सौभाग्य का मुकुट मत समझो।
वे थोड़े चौंके। उन्हें कभी इसका विचार भी न आया होगा। वे कहने लगे कि बात में तो थोड़ा अर्थ मालूम होता है। अगर देश सच में ही धार्मिक हो तो अवतारों की क्या जरूरत है? मैंने उनसे कहा, अपनी गीता ही उलटकर देखो; कृष्ण कहते हैं, जब अंधेरा होगा और धर्म भ्रष्ट हो जाएगा और साधु पीड़ित किए जाएंगे, तब मैं आऊंगा। साफ है कि कृष्ण वहीं आएंगे, जहां अधर्म होगा। और अगर यहां आए तो अधर्म होना चाहिए। इसको तुम धार्मिक देश मत कहना। और मुल्कों में नहीं आए, जरूर हमसे बेहतर हालत में होंगे।
चिकित्सक की जरूरत रोगी को है । अवतार की जरूरत अधार्मिक को है। दीए की जरूरत अंधेरे में है। सुबह होते ही हम दीया बुझा देते हैं। क्या जरूरत?
इसीलिए तो दीवाली हम अमावस की रात में मनाते हैं। जब गहन अंधकार होता है तो दीयों के अवतार पंक्तिबद्ध फैला देते हैं। सबसे अंधेरी रात वर्ष की जो है, उस वक्त हम सबसे ज्यादा दीए जलाते हैं। दिन में कोई दीवाली मनाएगा, उसे हम पागल कहेंगे।
अगर मैं ध्यान करूं तो मैं पागल हूं; अगर तुम ध्यान न करो तो पागल हो । मुझसे लोग आ जाते हैं पूछने कि आप ध्यान कब करते हैं? मैंने कहा, मैं कोई पागल हूं? मेरा दिमाग खराब हुआ है ? वे कहते हैं कि फिर हमें क्यों समझाते हैं ? तो मैं समझाता हूं, क्योंकि अगर तुम न करोगे तो तुम पागल हो ।
बात सीधी है। उलटी लगती है, जरा भी उलटी नहीं है। पहुंच गए, मंजिल समाप्त हुई; चलना क्या है? पा लिया, खोज बंद हुई; खोजना क्या है ?
साधना का उपयोग करना, यही उस शब्द का मतलब है । साधना का अर्थ है : साधन; साध्य नहीं। जब तुम सिद्ध हो जाओगे, साध्य मिल जाएगा, साधना भी छूट जाएगी। इसे याद रखना, मोह मत बनाना साधना से ।
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