SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 205
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एस धम्मो सनंतनो बोलता है अर्हत-तत्व को उपलब्ध व्यक्ति–लेकिन उसके बोलने में भी न बोलने की गंध होती है। बोलता है, शब्दों का उपयोग करता है, लेकिन उसके शब्द निःशब्द से आते हैं। दो तरह से बोला जा सकता है : या तो तुम्हारे भीतर बहुत ज्यादा शब्द भरे हों, उन शब्दों को तुम बाहर निकालो; जैसा कि साधारणतः हम बोलते हैं। भीतर कुछ गूंज रहा है, क्या करें, उसे निकालना जरूरी है ! तो लोग एक-दूसरे पर अपना कचरा फेंकते रहते हैं। एक ऐसी भी घड़ी है बोलने की, जब तुम्हारे भीतर बोलने को कुछ भी नहीं है; जब तुमने शून्य को जाना; और जब शून्य को तुम समझाना चाहते हो; जब तुम शून्य को ही समझाने के लिए शब्द का उपयोग करते हो; जब शब्द के सहारे और शब्द की नाव पर तुम शून्य को भरकर भेजते हो। फर्क तुम्हें समझ में आ जाएगा। क्योंकि दोनों तरह के शब्दों का गुणधर्म बदल जाता है। अगर तुम शांत व्यक्ति के शब्द सुनोगे तो सुनते-सुनते तुम शांत होने लगोगे। अगर अशांत व्यक्ति के पास तुम कुछ भी न कहे, चुपचाप भी बैठ जाओगे, तो भी अशांत होने लगोगे; उसकी अशांति तरंगायित होने लगेगी। 'उसकी वाणी शांत होती है, उसका कर्म शांत होता है।' करता है वह। अगर बुद्ध चालीस साल जीए बुद्धत्व को पाने के बाद तो कुछ न कुछ किया ही-चले, उठे, बैठे, समझाया, जगाया लोगों को, झकझोरा, एक हवा पैदा की कि उस हवा में कुछ कलियां खिल जाएं, कुछ बीज फूट जाएं, अंकुरित हों-लेकिन न करने जैसा है। उठता है और उठता नहीं। चलता है और चलता नहीं। बोलता है और बोलता नहीं। झेन फकीर बड़े मजे की बात कहते हैं। वे कहते हैं कि यह बुद्ध कभी पैदा ही नहीं हुआ। बुद्ध के भक्त हैं वे, बुद्ध की पूजा करते हैं मंदिर में, लेकिन कहते यह हैं कि बुद्ध कभी पैदा ही नहीं हुआ। कहते यह हैं कि यह आदमी अगर पैदा भी हुआ तो कभी बोला नहीं। अगर यह बोला भी तो इसने कभी कुछ कहा नहीं। ठीक ही कहते हैं। क्योंकि जब बुद्ध पैदा होते हैं तो बुद्ध शुद्धोधन के घर पैदा नहीं होते, महामाया की कोख से पैदा नहीं होते; बुद्ध तो उस दिन पैदा होते हैं, जिस दिन महामाया और शुद्धोधन के द्वारा पैदा हुआ बेटा मर जाता है; जिस दिन गौतम सिद्धार्थ मर जाता है, जिस दिन वह अहंकार, वह सीमाओं में बंधा हुआ रूप समाप्त हो जाता है। बुद्ध का जन्म तो समाधि में होता है। समाधि यानी महामृत्यु। . तो ठीक कहते हैं झेन फकीर, कि यह आदमी कभी पैदा नहीं हुआ। क्योंकि यह आदमी ऐसा है, यह घटना ऐसी है कि मौत में ही घटती है, जन्म में नहीं घटती। इसे थोड़ा समझना। जन्म तो हम सबका हुआ है, हममें से सौभाग्यशाली हैं वे, जो समाधि की मृत्यु 192
SR No.002381
Book TitleDhammapada 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy