SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 186
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उपशांत इंद्रियां और कुशल सारथी घृणा ने पकड़ा, कितनी बार हिंसा तुम्हारे हृदय में उठी, बहुत-बहुत मौके आए; वे जानने के मौके थे, तुम जान नहीं पाए। जान लेते तो फिर उनका आना बंद हो जाता। जाना नहीं, जागे नहीं कि क्रांति शुरू हुई। क्रांति फिर ठहरती नहीं। ज्ञान को जीवन में बदलने के लिए कोई कृत्य नहीं करना पड़ता। ज्ञान की परिभाषा यही है : जो अपने आप कृत्य बन जाए। जो ज्ञान कृत्य न बने, जिसे बनाना पड़े, वह ज्ञान ही नहीं; वह किसी से उधार ले लिया होगा। वह तुम्हारी समझ नहीं, तुम्हारी दृष्टि नहीं, वह किसी और की दृष्टि होगी। बुद्ध का पहला सूत्र है: 'सारथी द्वारा दान्त किए गए घोड़े के समान जिसकी इंद्रियां शांत हो गई हैं, वैसे अहंकाररहित, अनास्रव पुरुष की देवता भी स्पृहा करते हैं।' __ एक-एक शब्द को गौर से समझना, क्योंकि उनके साथ बड़ी गलत व्याख्याएं जुड़ी रही हैं। और करीब-करीब गलत व्याख्याएं इतनी प्राचीन हो गई हैं कि जाने-अनजाने, हम सभी उनकी गिरफ्त में आ गए हैं। "सारथी द्वारा दान्त किए गए घोड़े के समान।' अगर तुम बौद्ध भिक्षुओं से पूछो तो वे कहेंगे, जैसे सारथी घोड़े को दमन कर देता है, जैसे सारथी घोड़े पर लगाम बांध देता है, जैसे सारथी कोड़े से घोड़े को मजबूर कर देता है, ऐसे ही जिस व्यक्ति ने अपनी इंद्रियों को दमन किया है, कोड़ों से मारा है, सारथी की तरह लगामों से बांधा है, हजार तरह के कष्ट दिए हैं ताकि इंद्रियां झुक जाएं, तप किया है—ऐसा वे अर्थ करेंगे। चूक हो रही है। ___ तुम फिर से किसी सारथी को घोड़े को शिक्षण देते देखो। अगर सारथी कुशल है तो कोड़ा सिर्फ दिखाता है, मारता नहीं। अगर मारता है तो सारथी नहीं है। अगर सारथी और भी कुशल है तो सिर्फ कोड़ा पास ही रखता है, दिखाता भी नहीं। जो दिखाता है, वह अभी भी कुशलता के मार्ग पर जा रहा है। अगर सारथी और भी कुशल है तो कोड़े की सिर्फ अफवाह फैलाता है, साथ भी नहीं रखता। . घोड़े को ठीक-ठीक सारथी प्रेम करता है, मित्रता बनाता हैं, थपथपाता है, स्नान करवाता है, घोड़े से मैत्री साधता है, घोड़े और अपने बीच एक अंतर्संवाद की स्थिति बनाता है, घोड़े की भाषा समझने की कोशिश करता है, अपनी भाषा घोड़े को समझाने की कोशिश करता है। जर्मनी में एक बहुत प्रसिद्ध घोड़ा था। हंस उस घोड़े का नाम था। उससे ज्यादा प्रसिद्ध घोड़ा दुनिया में दूसरा कभी नहीं हुआ; कुछ ही वर्ष पहले मरा। उस घोड़े की सारे जगत में ख्याति हो गई थी। दूर-दूर से उसके लोग दर्शन करने आते थे। क्योंकि उस घोड़े ने एक अदभुत चमत्कार दिखलाना शुरू किया था; और वह यह कि वह कुछ गणित के सवाल हल करने लगा था। तुम उससे पूछो, दो और दो कितने? तो वह अपने पैर से टाप मारकर चार चोट कर देता। 173
SR No.002381
Book TitleDhammapada 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy