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एस धम्मो सनंतनो
झंझट धूम्रपान की नहीं है, न माला जपने की है, झंझट इसकी है कि तुम आदत को मालिक बन जाने देते हो।
अगर आदतें ही तुम्हारी छाती पर मालिक हो जाएं, पत्थर की तरह छाती से लटक जाएं और तुम डूबते चले जाओ तो जड़ता आ जाती है, ग्रंथि बन जाती है।
निग्रंथ होने का अर्थ है : कोई आदत नहीं।
कोई आदत नहीं होने का यह मतलब नहीं है कि तुम चलोगे कैसे फिर, बोलोगे कैसे फिर, भोजन कैसे करोगे, स्नान कैसे करोगे? कोई आदत न होने का मतलब यह है, किसी आदत की कोई मालकियत नहीं। जब जरूरत होती है, उपयोग कर लेते हैं; जब जरूरत नहीं होती तो उठाकर अलग रख देते हैं। ___मैं किसी आदत को न तो बुरा कहता हूं, न भला। आदत न कोई बुरी होती है, न भली। आदत बुरी हो जाती है, मालिक हो जाए तो। आदत भली हो जाती है, अगर तुम मालिक हो जाओ। __ और यह भी तरकीब समझ लेना, यह बड़ी तरकीब गहरी है। लोग बुरी चीजों को भी अच्छे नाम दे देते हैं। अब बहुत सी आदतों को तुमने अपनी मालकियत सौंप दी है और उनको तुम अच्छी आदत कहते हो। अच्छी कहकर तुमने पीड़ा अलग कर ली; अब छूटने की कोई जरूरत न रही। __एक आदमी कहता है, हम रोज प्रार्थना करते हैं। जिस दिन नहीं करते हैं, उस दिन बड़ी बेचैनी मालूम होती है। कोई न कहेगा इससे कि यह आदत बुरी है। हां, मैं कहंगा कि यह आदत बुरी है, इसे छोड़ो। अन्यथा कोई न कहेगा; क्योंकि यह तो धार्मिक आदत, अच्छी आदत है। इसको थोड़े ही छोड़ना है! लोग कहेंगे कि यह तो बहुत ही अच्छा है कि प्रार्थना की तलफ लगती है। ये तो बड़े तुम्हारे सौभाग्य हैं।
मैं तुमसे कहता हूं, सिगरेट की तलफ लगे कि प्रार्थना की, बराबर है। तलफ का मतलब है, कोई चीज तुमसे बड़ी हो गई। कोई चीज तुम्हारे चैतन्य से बड़ी हो गई। किसी चीज ने तुम्हारी गर्दन को दबा लिया। अगर तुम्हें आज नहीं करनी है तो न नहीं कर सकते हो। अगर आज प्रार्थना नहीं करनी है तो भी करनी पड़ेगी, मजबूर हो, तो सिगरेट में और इसमें फर्क क्या रहा? कोई फर्क न रहा। और सिगरेट के खिलाफ तो और भी तरह के कारण हैं, इस प्रार्थना के खिलाफ तो कोई भी कारण नहीं है। डाक्टर कह नहीं सकते कि कैंसर होता है, टी.बी. होती है, फला-ढिकां। प्रार्थना? इसमें न टी.बी. होती है, न कैंसर होता है। यह आदत तो बड़ी साफ-सुथरी है। और इसलिए और भी खतरनाक है। ___ ध्यान रखना, कोई आदत अच्छी नहीं, न बुरी। नाम देने की तरकीबें मत लगाओ। तुम बुरी चीजों को अच्छे नाम लगाकर चिपका देते हो; अच्छे लेबल लगा देते हो। फिर बड़ी उलझन होती है जीवन में।
मेरा हिसाब बहुत सीधा-सादा है। तुम मालिक तो अच्छा; फिर चाहे आदत
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