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________________ अंतश्चक्षु खोल मेरे बोलने से अगर तुम्हें मौन का थोड़ा सा स्वाद आ जाए, मेरे बोलने से अगर तुम्हें शून्य का थोड़ा सा रस लग जाए, बस प्रयोजन पूरा हो गया । यह अंगुली उठाता हूं आकाश की तरफ, यह अंगुली आकाश नहीं है; यह अंगुली तो बड़ी सीमित है । अंगुली को तो भूल जाना, आकाश की यात्रा पर निकल जाना। लेकिन फिर भी जब अंगुली उठाता हूं तो अंगुली आकाश की तरफ इशारा तो करती है। मैं चुप भी हो जाऊं, चुप बैठ जाऊं, तो तुम समझ न पाओगे। तब अंगुली भी आकाश की तरफ न उठेगी। बोल-बोलकर भी तुम नहीं समझ पाते हो; कह-कहकर भी तुम्हें पहुंच नहीं पाता; बिना बोले तो तुम्हारे लिए बात बिलकुल ही अबूझ हो जाएगी, बेबूझ हो जाएगी। बोलता हूं, ताकि तुम्हारी समझ से थोड़ा सेतु बन सके। लेकिन सेतु बनते ही सारी चेष्टा यही है कि तुम्हें समझ के पार ले जाना है । तुम पर निर्भर है। मैं जो कह रहा हूं, जो शब्द मैं तुमसे कह रहा हूं, अगर तुम समझ लो तो वे शब्द इशारे बन जाएंगे; अगर तुम न समझो तो वे शब्द कब्रों की तरह हो जाएंगे; उन में कोई सत्य मर गया। अगर तुम समझ लो तो उन्हीं शब्दों से अंकुर निकल आएंगे शून्य के, मौन के तुम्हारे भीतर । अगर न समझो तो सूचनाएं इकट्ठी हो जाएंगी। इन्हीं अलफाज में मदफन हैं शाहों के जमीर इन्हीं अलफाज में मलफूफ है मजहब का खुदा जिन्होंने जाना, जो अपने मालिक बने, उनके वक्तव्य इन्हीं शब्दों में दफन हैं। इन्हीं अलफाज में मदफन हैं शाहों के जमीर इन्हीं अलफाज में मलफूफ है मजहब का खुदा और इन्हीं शब्दों में धर्मों का परमात्मा बंद है। तुम पर निर्भर है। अगर तुम इन शब्दों का सार समझ लो - सार शून्य है, सार मौन है। बड़ी विपरीत बात है; शब्द से निःशब्द को कहना पड़ता है। बड़ी विरोधाभासी बात है, बड़ी उलटी बात है। चालीस साल बुद्ध बोलते हैं, सिर्फ इसलिए कि लोग चुप हो जाएं। मैं रोज बोले चला जाता हूं, ताकि लोग चुप हो जाएं। बात बड़े पागलपन की लगती है कि अगर लोगों को यही समझाना है कि चुप हो जाओ, तो आप चुप बैठें। बात सीधी होगी, लोग समझ जाएंगे; चुप होना है। लेकिन मामला कुछ ऐसा है कि सफेद लकीर अगर तुम्हें दिखानी हो तो काले तख्ते पर खींचनी पड़ती है। सफेद दीवाल पर भी खींची जा सकती है; खिंच तो जाएगी, दिखाई न पड़ेगी। स्कूल का मास्टर भी जानता है कि काला तख्ता रखना पड़ता है। सफेद दीवाल भी काम दे सकती है, लिख सकता है, लेकिन लिखा हुआ पढ़ेगा कौन? लिख तो जाएगा, पढ़ना संभव न होगा। सफेद लकीर को दिखाने के लिए काली पृष्ठभूमि चाहिए । मौन समझाने के लिए शब्दों का उपयोग करना पड़ता है। शब्द काली पृष्ठभूमि 153
SR No.002381
Book TitleDhammapada 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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