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एस धम्मो सनंतनो
'जिनका कोई संग्रह नहीं है, जो भोजन में संयत हैं।'
बुद्ध का बहुत जोर संयम पर है। संयम का अर्थ समझ लेना; ज्यादा खाओ तो असंयम, उपवास करो तो असंयम। संयम का अर्थ होता है : जो मध्य में संयत है, संतुलित है; न ज्यादा भोजन, न कम भोजन। ___ ज्यादा खाने वाले लोग हैं, असंयत हैं, असंयमी हैं। उनको तो तुम असंयमी कहते हो। फिर ये ही कभी मंदिरों में बैठ जाते हैं, मुनि हो जाते हैं, उपवास करने लगते हैं; तब तुम इनको संयमी कहते हो।
ये भी असंयत हैं। ये वही लोग हैं, जो ज्यादा खाने से परेशान थे; अब कम खाने से अपने को परेशान कर रहे हैं। गांठ मौजूद है, दुख पा रहे हैं। पहले ज्यादा खाकर पाया, अब कम खाकर पा रहे हैं। ___ यही तो मैंने कहा कि गांठ बदलनी जरूरी है, नहीं तो तुम कुछ भी करो, दुख ही पाओगे। अब मजे की बात है, ज्यादा खाकर भी दुख पाया, उपवास करके भी दुख पा रहे हैं। जैसे दुख पाने के लिए इन्होंने कसम खा रखी है; जैसे दुख पाएंगे ही।
संयत का अर्थ है : सम्यक; उतना ही, जितना जरूरी है। जितना शरीर को जरूरी है, उतना भोजन। जितना शरीर को जरूरी है, उतना श्रम। जितना शरीर को जरूरी है, उतना विश्राम। जितना आवश्यक है उससे ज्यादा नहीं, उससे कम भी नहीं। ऐसा जो संतुलित है, उसके जीवन में संगीत का उदय होता है। उसके जीवन में बड़े संतुलन की शांति छा जाती है। वह संगीत और शांति में जीता है।
'शून्य और अनिमित्त विमोक्ष जिनका गोचर है।'
बुद्ध कहते हैं, जीवन को ऐसे परम स्वीकार भाव से जीना चाहिए कि जो जरूरी है, वह मिल ही जाएगा।
यही मैंने तुमसे पीछे कहा कि प्यास है तो जल पहले होगा ही। श्वास की जरूरत है तो हवाएं चारों तरफ मौजूद होंगी ही। ये दोनों साथ-साथ ही पैदा होते हैं। इसलिए तुम अपने निमित्त बहुत चेष्टा मत करो।
चेष्टा करो श्रम के निमित्त, करना जरूरी है, करना आनंदपूर्ण है; लेकिन अपने निमित्त...यह मत सोचो कि मैं न करूंगा तो क्या होगा? मैं इकट्ठा न करूंगा तो मर जाऊंगा, भूखा मर जाऊंगा। मैं अगर महल न बनाऊंगा तो साया न मिलेगा। मैं अगर धन न इकट्ठा करूंगा तो क्या होगा?
न, तुम अपने को निमित्त मत मानो। तुम इस तरह मत सोचो कि तुम्हारे किए ही होगा। क्योंकि इससे भी अहंकार निर्मित होता है। तुम इस तरह चलो कि जो हो रहा है, हो रहा है; जो होना है, होगा।
इसका यह अर्थ नहीं है कि तुम सुस्त हो जाओ, तुम आलसी हो जाओ; तुम करो, लेकिन तुम कर्ता मत बनो।
'उनकी गति आकाश में पक्षियों की भांति है।'
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