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जीवन ही मार्ग है
तो लाए! इसे सम्हालकर रखूगा। फूलों की तो बहुत मालाएं देखीं, यह अनूठी है। तुमने अपने संबंध में सब कुछ कह दिया।
तुम अगर भीतर अहंकार से भरे नहीं हो, अहंकार की ग्रंथि भीतर नहीं, तो तुम्हारा कोई अपमान नहीं किया जा सकता। जूतों की माला में भी माला दिखाई पड़ने लगेगी। अभी तो फूलों की माला में भी फल दिखाई नहीं पड़ते। ___ एक राजनेता की सभा थी, वह बड़ा नाराज हो रहा था, बड़ा दुखी हो रहा था। बाद में मैनेजर को बहुत डांटने लगा। उसने कहा कि मामला क्या है? नाराज आप किसलिए हैं? उसने कहा, सिर्फ ग्यारह माला! उसने कहा, ग्यारह कोई कम हैं? उसने कहा, बारह के पैसे चुकाए थे।
अपनी माला भी...खुद ही पैसे चुकाने पड़ते हैं और गिनती रखनी पड़ती है। फूल भी तब फूल नहीं रह जाता। अहंकार पर चढ़े फूल भी कांटे हो जाते हैं। भीतर की ग्रंथि के बदलने की बात है। __ पर यह जीवन की परिपक्वता से ही संभव है और कोई उपाय नहीं है। जीवन के अतिरिक्त कोई मार्ग नहीं। जीवन ही पथ है-एस धम्मो सनंतनो।
'स्मृतिवान पुरुष उद्योग करते हैं, वे गृह में नहीं रमते। हंस जिस प्रकार डबरे छोड़ देते हैं, उसी प्रकार वे सभी घर छोड़ देते हैं।'
फिर भूल न हो जाए। देखना, बुद्ध के वचन में बड़ी बारीक बात है। जो विरोध बुद्ध के वचन में है, वह उद्योग और गृह में है।
बुद्ध कहते हैं, ‘स्मृतिवान पुरुष उद्योग करते हैं, वे गृह में नहीं रमते।' __ बड़ी बात उलटी सी लगती है। कहना चाहिए कि वे आश्रम में रहते हैं, घर में नहीं रहते; समझ में आता। जंगल में रहते हैं, घर में नहीं रहते; समझ में आता। लेकिन बुद्ध जो विरोध साध रहे हैं, वह बड़ा अनूठा है।
वे कहते हैं, ‘स्मृतिवान पुरुष उद्योग करते हैं, गृह में नहीं रमते।' उद्योग से घर का क्या विरोध? उद्योग से घर का लेन-देन क्या?
वहीं सारा रहस्य छिपा है। घर तुम इसीलिए बनाते हो कि कल उद्योग न करना पड़े। कल की सुरक्षा के लिए आज तुम घर बनाते हो। कल की सुरक्षा के लिए आज बैंक बैलेंस बनाते हो। कल की सुरक्षा के लिए, अगले परलोक की सुरक्षा के लिए पुण्य करते हो।
अगर तुम गौर से देखो तो तुम्हारे घर बनाने की सभी चेष्टा उद्योग से बचने की चेष्टा है। धनी तुम किसलिए होना चाहते हो? ताकि उद्योग न करना पड़े। तुम उद्योग भी करते हो तो उद्योग से बचने की ही आकांक्षा में करते हो।
स्मृतिवान पुरुष-स्मृतिवान अर्थात जागे हुए; जिन्हें होश आ गया, जिन्हें अपनी याद आ गई-वे उद्योग करते हैं, घर में नहीं रमते।
अब इस सूत्र का अर्थ बौद्ध भिक्षुओं ने समझा कि घर से भागो। इस सूत्र का
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