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जीवन ही मार्ग है मेरे पास रोज लोग आते हैं; वे कहते हैं, बड़ा दुख है। इस ढंग से कहते हैं, जैसे उन्हें कोई और दुख दे रहा है। मानते भी वे यही हैं कि सारा संसार उन्हें दुख दे रहा है। पति आता है, वह कहता है, पत्नी दुख दे रही है। पत्नी आती है, वह कहती है, पति दुख दे रहा है। बच्चे आते हैं, वे कहते हैं, मां-बाप मारे डाल रहे हैं। मां-बाप कहते हैं कि बच्चे गले की फांसी हो गए हैं। दूसरे दुख दे रहे हैं। - इसका अर्थ हआ कि तुमने अभी जीवन की परिपक्वता का कोई भी अनुभव नहीं पाया। जैसे ही तुम जरा सा भी अनुभव पाओगे, तुम पाओगे, मैं अपने को दुख दे रहा हूं। और अगर दूसरे भी मुझे दुख देते हैं तो इसीलिए दुख देते हैं कि मैं चाहता हूं कि वे मुझे दुख दें। मैं रास्ते निकालता हूं, मैं उपाय करता हूं, मैं पूरी व्यवस्था जमा देता हूं। अगर वे न दें तो भी मुसीबत। ___ मेरे एक मित्र थे। मेरे साथ ही एक युनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे, सदा रोना रोते थे कि घर जाता हूं तो पांव रुकने लगते हैं भीतर जाने से। पत्नी जैसी होनी चाहिए, वैसी पत्नी है। बड़ी खतरनाक है। छाती धड़कने लगती है। सीधे-सादे आदमी हैं। .. तो मैंने उनसे कहा, तुम एक दिन ऐसा करो, कुछ जरूर तुममें भी कारण होंगे। पहले तो तुमने प्रेम-विवाह किया इस स्त्री से, तुमने इसे चुना। जरूर तुम्हारे भीतर कोई दुख पाना चाहता होगा इस स्त्री से, इसलिए चुना, नहीं तो क्यों? इस स्त्री को दूर से ही देखकर कोई कह सकता है, जिसको थोड़ा ही होश है, कि इससे सावधान रहना। तुम फंसे कैसे? तुम अपने आप गए? इस स्त्री ने तुमसे कहा था कि हम तुम्हें प्रेम करते हैं? बोले, नहीं। मैंने ही अपने हाथ से फांसी लगाई।।
स्त्रियां यह काम करती ही नहीं। तुम किसी स्त्री को कभी दोषी न ठहरा सकोगे। वह शुरुआत करती नहीं। वह खड़ी रहती है। वह देखती रहती है, करो शुरुआत। रफ्ता-रफ्ता करीब आओ। कभी कोई स्त्री से कोई पति यह नहीं कह सकता कि तूने मुझे उलझाया। वह उलझाती नहीं। उलझाती है, खड़ी रहती है।
तो मैंने उनसे कहा, तुम ऐसा करो; तुममें ही कुछ कारण होंगे जरूर। पहले तुमने इसे चुना, जाहिर है कि तुम इस दुख की आकांक्षा करते थे। जन्म-जन्म से तुम इसी की प्रतीक्षा करते थे। अब वह मिल गई तो परेशान हो रहे हो। और मैं तुमसे कहता हूं, अगर यह स्त्री छूट जाए, तुम फिर ऐसी ही स्त्री चुन लोगे। तुम्हीं चुनोगे न! तुम ऐसा करो, तुम बदलने की कोशिश करो, बजाय इसकी फिक्र करने के। आज तुम घर जाओ, फूल ले जाओ, आइसक्रीम ले जाओ, साड़ी खरीदकर ले जाओ। तुमने कभी यह किया? उन्होंने कहा कि नहीं किया।
मैंने कहा, तुम यह करो। और घर में कुछ काम भी करो। पत्नी दिन-रात काम करती है, उसके प्लेट भी धुलवाओ, किचन भी साफ करवाओ।
उन्होंने कहा, क्या मतलब! यह मैं करूं? मैंने कहा, करो। आज तो कम से कम करो। देखें, क्या फर्क आता है!
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