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एस धम्मो सनंतनो
लेकिन टिकता नहीं। किसके टिकता है? और जिनके टिक भी जाता है, वे भी मानते नहीं कि टिकता है। कृपण से कृपण आदमी भी यही मानता है कि उससे ज्यादा फिजूल-खर्च और कोई भी नहीं। कृपण से कृपण भी यही कहेगा कि ठीक कहा; रुपया हाथ में आता है, टिकता नहीं। ज्योतिषी जान रहा है तुम्हारी लोभ की दशा को; वह सार्वजनिक है। ____ हां, किसी बुद्ध का हाथ देखेगा तो गलती में पड़ जाएगा। मगर यह कभी-कभी होता है। बुद्ध के हाथ सदा उपलब्ध नहीं हैं। जिन के हाथ उपलब्ध हैं, वे सोए हुए लोग हैं। वह तुमसे कहता है कि जिनको तुम अपना मानते हो, वही तुम्हें धोखा दे जाते हैं। बात उसने पते की कह दी। जंचती है। जिनको तुम अपना मानते हो, वही धोखा दे जाता है। सभी आदमी के संबंध में सच है-गांठ है इसकी। ___ सच है, ऐसा नहीं; बात कुछ ऐसी है कि तुम किसी को अपना मानते कहां, पहली बात। और जिनको तुम अपना मानते हो तुम खुद ही उनको धोखा दे रहे हो; वे तुम्हें कैसे न देंगे? तुम्हारी इच्छा यह है कि तुम तो उन्हें धोखा दो और वे तुम्हारे बने रहें; यह नहीं होता। तुम भी उन्हें धोखा दे रहे हो, वे भी तुम्हें धोखा दे रहे हैं। धोखे की ही सब दोस्ती है यहां। ज्योतिषी जिसको भी मिले, उससे ही कह देता है कि जिनको तुम अपना मानते हो, वे धोखा दे जाते हैं।
ज्योतिषी कहता है, तुम जिनके साथ नेकी करते हो, वे तुम्हारे साथ बदी करते हैं। यह बड़े मजे की बात है। सबको जंचती है। तुमको भी खयाल है कि तुमने बड़ी नेकियां की हैं। की वगैरह नहीं हैं, खयाल है; अहंकार की आदत है, गांठ है कि मुझ जैसा नेक आदमी! मैं तो वही उसूल मानता हूं : नेकी कर कुएं में डाल। करता जाता हूं, डालता जाता हूं, कभी धन्यवाद की भी आकांक्षा नहीं रखी।
हर आदमी को यही खयाल है कि मैं कितना कल्याण कर रहा हूं संसार का! और लोग कैसे हैं कि इनको समझ में नहीं आ रहा। कोई पूजा के थाल नहीं सजाता, कोई आरती नहीं उतारता। मैं कल्याण किए जा रहा हूं और लोग बदी किए जा रहे हैं। उनसे पूछो तो वे भी यही सोच रहे हैं कि वे कल्याण कर रहे हैं और लोग उनके साथ बदी कर रहे हैं। ___तुम्हारी गांठे...गांठों का अर्थ होता है : यांत्रिक जीवन। होश हो तो तुम्हारे संबंध में भविष्यवाणी नहीं हो सकती। क्योंकि फिर तुम्हारा कल नया होगा, आज की पुनरुक्ति नहीं। फिर तुम्हारा हर कल नया होगा, फिर तुम्हारा हर पल नया होगा। नया होना तुम्हारा ढंग होगा। दूसरों की तो छोड़ दो, तुम भी अपने संबंध में भविष्यवाणी न कर सकोगे। तुम भी कंधे बिचकाकर रह जाओगे कि कल का तो कुछ पता नहीं। कल जब आएगा तब देखेंगे। कल जब आएगा तभी देख सकेंगे। ____ गांठ खोलनी ही पड़े। लेकिन गांठ भी तभी खुलेगी, जब तुम जागकर जीवन की पीड़ा को अनुभव करोगे। गांठ पीड़ा दे रही है।
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