SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 132
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जीवन ही मार्ग है जो देखेगा उसे यही दिखाई पड़ेगा कि फूल तो कांटे की छिपने की तरकीबभर है। लोग दुखों से बचकर चलते हैं, तब तक समझना कि अभी परिपक्व नहीं हुए। जब सुख को भी समझ लें कि व्यर्थ; तब समझना कि बोध आया। क्योंकि सुख दुख के छिपने की तरकीब से ज्यादा नहीं है। सुख तो ओढ़नी है, जो दुख ओढ़े हुए है। सुख तो प्रलोभन है, जो दुख ने तुम्हें दिया है। नर्क के दरवाजे पर स्वर्ग की तख्ती लगी है। नहीं तो कोई नर्क में प्रवेश ही न करेगा। लोग दरवाजे से ही भाग खड़े होंगे। एक फकीर मरने के करीब था; सोया था, रात नींद में उसने देखा कि वह परमात्मा के सामने खड़ा है। तो उसने कहा कि मरने के पहले एक मेरी आकांक्षा है। मुझे तुम दोनों देख लेने दो-स्वर्ग और नर्क; ताकि में चुनाव कर लूं। इतना तो कम से कम करो; जिंदगीभर तुम्हारी प्रार्थना की है। लोग कहते हैं, नर्क बड़ा बुरा, स्वर्ग बड़ा भला। मैं अपनी आंख से देख लूं। ___उसे सुविधा दी गई। स्वर्ग ले जाया गया। उसने स्वर्ग देखा, लेकिन बड़ा बेरौनक था-होगा भी! अगर तुम्हारे तथाकथित सब संन्यासी वहां पहुंच गए हैं तो बेरौनक होगा ही। बैठे होंगे अपने-अपने झाड़ के नीचे सिर धुनते। क्या करेंगे? न कहीं गीत होगा, न कहीं नाच होगा। वृक्षों में फूल भी शर्माते होंगे खिलने से। स्वर्ग में फूलों का खिलना मना है। ये बातें-कोई रौनक तो नहीं हो सकती, जड़ता छाई होगी, धूल जम गई होगी। अगर सभी परमहंस वहीं हैं तो तुम कूड़ा-करकट का सोचो, कि कितना इकट्ठा नहीं हो गया होगा! गंदगी भर गई होगी। वह घबड़ा गया; उसने कहा कि यह स्वर्ग है? अच्छा हुआ, पहले ही देख लिया, अब नर्क दिखला दें। वह नर्क गया, देखकर चकित हुआ; बड़ा हैरान हुआ। इतना सुंदर था! फूल खिल रहे थे, गीत गाए जा रहे थे, बाजे बज रहे थे, चहल-पहल थी, रौनक थीं। वह बड़ा हैरान हुआ। उसने शैतान से पूछा कि यह नर्क और वह स्वर्ग? दुनिया में बड़ी गलत खबरें फैला रखी हैं। . शैतान ने कहा, हम करें क्या? हमें कोई मौका ही नहीं प्रचार का। एकतरफा प्रचार है। सब मंदिर भगवान के हैं, सब मस्जिद भगवान की हैं। हमारे साथ बड़ी ज्यादती हुई है। यह अपनी आंख से देख लो। हमें मौका ही नहीं। हमें नाहक बदनाम किया गया है। उसने कहा, तो फिर मैं नर्क ही चुनूंगा। आंख खुल गई। फिर वह मरा तो उसने चुना नर्क। जब वह नर्क गया तो चकित हुआ। दुष्ट एकदम उसके ऊपर टूट पड़े। वह दृश्य दिखाई ही न पड़ा, जो पहले दिखाई पड़ा था-रौनक, गीत-गान! कड़ाहे जल रहे और तेल उबाला जा रहा और लोग फेंके जा रहे...। उसने कहा, यह मामला क्या है? अभी दो दिन पहले ही मैं आया था। शैतान ने कहा, भई, वह तो जो दर्शक आते हैं, उनके लिए नर्क का एक कोना 119
SR No.002381
Book TitleDhammapada 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy