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एस धम्मो सनंतनो
ऐसे ही संसार से मुक्ति फलित होती है, जब तुम पक जाते हो।
बुद्ध के वचनों को बड़ा गलत समझा गया है। सभी बुद्ध पुरुषों के वचनों को गलत समझा गया है। कहा कुछ, तुम समझे कुछ। गौर से सुनना!
'जिसने मार्ग पूरा कर लिया है, जो शोकरहित और सर्वथा विमुक्त है।' वह लक्षण है मार्ग पूरे करने का कि जो शोकरहित और सर्वथा विमुक्त है।
फल टूट गया अपने आप। यह लक्षण है कि फल पक गया। लेकिन फल को तुम कच्चा भी तोड़ ले सकते हो। तोड़ा गया फल पका नहीं होगा। और तोड़े गए फल में पीड़ा का दंश रह जाएगा, दुख रह जाएगा। जो पकने की कमी रह गई, वह सालती रहेगी, कांटे की तरह चुभती रहेगी। और फल जब तुम कच्चा तोड़ते हो तो न केवल फल को पीड़ा होती है, वृक्ष को भी पीड़ा होती है। अभी टूटने की घड़ी न आई थी, अभी मुक्त होने का क्षण न आया था, जल्दबाजी की, अधैर्य किया।
तो जिनको तुम संन्यासी कहते हो, उनमें से अधिक तो अधैर्य से भरे हुए लोग हैं। उन्होंने परमात्मा को पूरा मौका न दिया। रास्ता पूरा न हो पाया और वे हट गए। फल पक न पाया और उन्होंने झटककर अपने को तोड़ लिया। इसलिए मंदिरों में वे बैठे रहेंगे, लेकिन उनके मन में बाजार होंगे। आश्रमों में वे बैठे रहेंगे, लेकिन उनके मन में कामना के बीज होंगे, वासना चलती ही रहेगी। कच्चे थे!
मैं तुमसे कहता हूं, कभी भागना मत। पलायन से कभी कोई मुक्त नहीं हुआ है। भगोड़ों के लिए नहीं है भगवान। कहीं भागने से कुछ मिला है ? भागना तो सबूत है भय का। कच्चे टूट जाना सबूत है जल्दबाजी का, अधैर्य का। .
और जिसके पास धैर्य ही नहीं है, अनंत प्रतीक्षा नहीं है, वह इस परम फल को उपलब्ध न हो सकेगा, जिसे हम परमात्मा कहते हैं।
"जिसने मार्ग पूरा कर लिया है।'
अर्थात जिसने जीवन को पूरा मौका दिया है, सब रंगों में, सब रूपों में। डरे-डरे मत जीना, तूफानों से छिपकर मत जीना। आंधियां आएं तो घरों में मत छिप जाना। आंधी भी अकारण नहीं आती, कुछ धूल-धवांस झाड़ जाती है। आंधी भी अकारण नहीं आती, कोई चुनौती जगा जाती है; कोई भीतर सोए हुए तारों को छेड़ जाती है। ___एक बात तो सदा ही स्मरण रखना कि इस संसार में अकारण कुछ भी नहीं होता—तुम चाहे पहचानो, चाहे न पहचानो। देर-अबेर कभी न कभी जागोगे तो समझोगे। जो अंगुलियां तुम्हें शत्रु जैसी मालूम पड़ें, एक दिन तुम पाओगे कि उन्होंने भी तुम्हारे हृदय की वीणा को जगाया।
अंगुलियों की कृपा ही झंकार है ।
अन्यथा नीरव निरर्थक बीन है वीणा अगर डर जाए और छिप जाए, अंगुलियों को छेड़ने न दे स्वयं के तारों को, तो वीणा मृत रह जाएगी। संगीत सोया रह जाएगा।
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