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प्यासे को पानी की पहचान
मेरी तुम फिक्र छोड़ो। तुम अपनी ही फिक्र कर लो, काफी है। __इतना मैं तुमसे कहता हूं, अगर तुम्हारे पास सीखने की क्षमता हो, अगर तुम सीखने को तैयार हो—सीखने की तैयारी का अर्थ होता है कि अगर तुम झुकने को तैयार हो, अगर तुम यह मानने को तैयार हो कि मैं जानता नहीं, तो यह प्रश्न पूछने की जरूरत न रह जाएगी; तुम मेरे गवाह बन जाओगे। और जब तक तुम मेरे गवाह न बन जाओ, तब तक कोई गवाहियां काम आने की नहीं हैं।
खोल आंख जमीं देख फलक देख फजा देख
मशरिक से उभरते हुए सूरज को जरा देख लेकिन देखने के पहले तुम्हारी आंख खुली होनी चाहिए।
आंख खोलकर मुझे देखो, वहां उत्तर है। तुम आंख बंद करके मुझे देखते रहो तो मैं कितने ही उत्तर दं, तुम तक न पहुंचेंगे।
तुम अगर सीखने को तैयार हो, तुमने अगर अपना पात्र खाली किया है, तो मैं अपने को पूरा उड़ेल देने को तैयार हूं। . लेकिन तुम्हारे पात्र में मैं देखता हूं, बूंदभर भी जगह नहीं है। तुम इतने भरे हो, जरा भी रिक्त स्थान नहीं, अवकाश नहीं। तुम्हारे भीतर आने की सुविधा कहां है? तुमने सब द्वार-दरवाजे बंद कर लिए हैं। तुमने तर्क की दीवालें बना ली हैं, शास्त्रों की दीवालें बना ली हैं। तुम उनकी ओट में छिपे बैठे हो। वहां से तुम पूछते हो, क्या आप एक सदगुरु हैं?
प्रश्न अंधेपन से आ रहा है; अन्यथा तुम्हें सभी सदगुरु मुझमें दिखाई पड़ सकते हैं; एक की तो बात ही छोड़ दो। तुम्हारे पास आंख हो तो सूरज उगा हुआ है।
खोल आंख जमीं देख फलक देख फजा देख
मशरिक से उभरते हुए सूरज को जरा देख लेकिन तुम भूल ही गए हो आंख खोलना। लोगों ने ऐसा समझ रखा है, जैसे यह सत्य का जिम्मा है कि वह सिद्ध करे। क्या पड़ी है सत्य को? जैसे यह सूरज का जिम्मा है कि तुम्हारी आंख भी खोले! क्या पड़ी है सूरज को? सूरज तुम्हारे द्वार पर दस्तक न देगा; आएगा, द्वार पर रुका रहेगा, द्वार खुला होगा, भीतर आ जाएगा; द्वार बंद होगा, बाहर रह जाएगा। दस्तक न देगा; कहेगा न कि मैं आ गया हूं, द्वार खोलो। चुपचाप प्रतीक्षा करेगा।
और यही सुंदर है। क्योंकि सत्य भी अगर द्वार पर दस्तक दे तो हस्तक्षेप हुआ। सूरज अगर जबरदस्ती घर के भीतर प्रवेश करने की कोशिश करे तो अतिक्रमण हुआ। अगर परमात्मा तुम्हें जबरदस्ती जगाने की चेष्टा में रत हो जाए तो तुम्हारी स्वतंत्रता कहां रही? अगर सोने का हक न हो, अगर भटक जाने की सुविधा न हो तो मनुष्य की गरिमा खो जाती है।
मनुष्य का सारा सौभाग्य यही है कि चाहे तो नर्क में गिर सकता है, अंधेरे से