________________
एस धम्मो सनंतनो
खिड़की से कोई भी संबंध नहीं है। लेकिन जो खिड़की के पीछे खड़े होकर देखेगा, उसे ऐसा ही लगेगा कि खिड़की का आकार आकाश का आकार है।
जो तुम जानते हो, उससे उस परम सत्य का कोई संबंध नहीं है। जो तुम जानते हो वह तो तुम्हारे मन की खिड़की है, तुम्हारा ढांचा है। सत्य तो सदा ही अज्ञेय है; अज्ञेयता उसका स्वभाव है। जान-जानकर तुम उसे चुकता न कर पाओगे। सब जानना, सब धारणाएं तुम्हारी खिड़कियां हैं। ___ कोई उसे कहता है, ईश्वर-यह उसकी खिड़की है। कोई उसे कहता है, मोक्ष-यह उसकी खिड़की है। कोई उसे कहता है निर्वाण-यह उसकी खिड़की है। कोई कुछ भी नहीं कहता, चुप रह जाता है-यह उसकी खिड़की है।
हम जो भी उसके संबंध में कह सकते हैं, वह उसके संबंध में नहीं होता, हमारे संबंध में होता है। उसके संबंध में आज तक जो भी कहा गया है, वह कहने वालों के संबंध में है; उनकी खिड़कियां, धारणाएं, मन के प्रत्यय, उनके संबंध में है।
सत्य तो सदा ही अपरिचित है और यही सत्य का सौंदर्य है। जिससे परिचय हो गया, वह तो मर ही गया। जिसे तुमने जान लिया, उसकी सीमा आ गई। जिसे तुमने पहचान लिया, उसका रहस्य समाप्त हुआ। जिसे तुमने समझा कि जान लिया, अब उसमें आश्चर्य कहां? अब वह तुम्हें अवाक न कर सकेगा। अब तुम उसके सामने खड़े होकर आश्चर्य से भरे हुए नाचोगे नहीं। __इसलिए जिन-जिन लोगों को जानने का भ्रम हो जाता है, उन-उन के जीवन से
आश्चर्य विदा हो जाता है। और आश्चर्य परमात्मा के पास पहुंचने का सेतु है। जितना मनुष्य जाति को यह वहम सवार हो गया है कि हम जानते हैं-विज्ञान ने कुछ बातें जता दी हैं, शास्त्रों ने कुछ बातें बता दी हैं, हमने उन्हें कंठस्थ कर लिया है-उतना ही हमारे ऊपर धूल जम गई है और बचपन के जो आश्चर्यचकित होने की संभावना थी, वह क्षीण हो गई।
छोटे बच्चे को कभी देखा? रास्ते के किनारे पड़े कंकड़-पत्थर सूरज की रोशनी में चमकते कोहिनूर हो जाते हैं; उठा-उठा लेता है। तुम कहते हो, छोड़ो भी, फेंको भी, कहां कचरा उठा रहा है! तुम समझ ही नहीं पा रहे। वह रंगीन पत्थर सूरज की रोशनी में इतने महिमापूर्ण मालूम होते हैं बच्चे को। ___ यह पत्थर का सवाल नहीं है, बच्चे की अभी आश्चर्य की आंख बंद नहीं हुई। अभी उसके आश्चर्य के द्वार खुले हैं। अभी बच्चे का मन ज्ञान से बोझिल नहीं हुआ। अभी बच्चा निर्दोष है। अभी वह खाली आंखों से देख पाता है तो हर चीज सुंदर हो जाती है। तितलियों के पीछे दौड़ लेता है तो स्वर्गों का आनंद आ जाता है। फूल इकडे कर लेता है तो जैसे मोक्ष मिल जाता है।
जीसस ने कहा है, जो छोटे बच्चों की भांति होंगे, वे ही मेरे परमात्मा के राज्य में प्रवेश कर सकेंगे।
90