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________________ मौन में खिले मुखरता मिली! फिर नई शक्ति का आविर्भाव हुआ! थकान गई, उदासी गई, चिंता गई! ___ जैसे कोई स्नान करके लौटता है तो शरीर शीतल हो जाता है, शांत हो जाता है, ऐसे ही जब कोई भीतर से होकर वापस आता है, मौन में स्नान करके लौटता है, तो समस्त अस्तित्व, समस्त व्यक्तित्व शांत और मौन हो जाता है, आनंदित हो जाता है। तुमने फिर से रस पा लिया! वृक्ष को फिर पानी मिल गया! जड़ों को फिर भूमि मिल गई! सब फिर हरा हो गया! फिर से आ गया वसंत! ___ गहरी नींद से यही तो लाभ होता है। दुनिया के सभी चिकित्सा-शास्त्र कहते हैं कि अगर कोई बीमार हो तो इलाज के पहले, किसी भी इलाज के पहले, बड़े से बड़ा इलाज है कि उसे नींद आ जाए। बीमार अगर सो न सके तो फिर कोई औषधि काम नहीं करती। औषधि तो ऊपरी सहारे हैं, असली औषधि तो भीतर है। अपने में डुबकी लग जाए, अपने जीवन-स्रोत से फिर संबंध जुड़ जाए। __गहरी नींद में वही घटता है। गहरी नींद का अर्थ है जहां स्वप्न भी न हो, क्योंकि स्वप्न में भी दूसरों की छाया मौजूद रहती है। तुम स्वप्न में भी स्वयं नहीं हो पाते; वहां भी झूठ हो जाता है। फ्रायड ने कहा है कि आदमी स्वप्न में भी झूठ बोलता है। हमारा झूठ इतना गहरा हो गया है कि स्वप्न में जहां कोई भी नहीं है, वहां भी हम झूठ बोलते हैं। ____ फ्रायड ने कहा है, अगर किसी व्यक्ति के मन में अपने पिता को मार डालने की आकांक्षा हो—जरूरी नहीं कि वह मार ही डालना चाहता हो, लेकिन क्रोध में ऐसी आकांक्षा हो तो वह सपना देखेगा कि उसने अपने काका को मार डाला। पिता को न मारेगा सपने में, सपने में भी! काका मिलते-जुलते हैं पिता से थोड़े, उन्हें मार डालेगा। उतना झूठ वहां भी बोल गया। तुम अपने स्वप्न में भी सच नहीं हो; क्योंकि दूसरा तो मौजूद नहीं है, लेकिन दूसरे की छाया मौजूद है। दूसरे की छाया भी तो दूसरे की छाया है। __ तो जब स्वप्न भी नहीं होते तब सुषुप्ति। और सुषुप्ति बड़ी प्राणदायी है। सुषुप्ति संजीवनी है। जब कोई इतना गहरे में अपने गिर जाता है कि वहां स्वप्न भी नहीं पहुंच पाते, दूसरे तो दूर, उनकी छाया भी नहीं आती; जब तुम इतने अपने में होते हो, तब तुम सुबह पाते हो, रात बड़ी आनंद से बीती। सुबह तुम एक ताजगी पाते हो, ओज पाते हो, बल पाते हो। जिस दिन तुम रात गहरे नहीं सो पाते, उस दिन तुम सुबह थके-थके उठते हो। चाहे तुम आठ-दस घंटे बिस्तर पर पड़े रहे, चाहे तुमने करवटें बहुत बदलीं, लेकिन स्वप्न तुम्हें घेरे रहे, तुम उथले-उथले रहे, भीड़ तुम्हें पकड़े ही रही, तुम अकेले न हो पाए। नींद में भी तुम मौन न हो पाए। नींद में मौन हो जाने का अर्थ सुषुप्ति है। जैसे गहरी नींद तुम्हें ताजा कर जाती है, उससे भी ताजा तुम्हें मौन करेगा। क्योंकि गहरी नींद में तुम बेहोश होते हो, मौन में तुम गहरी नींद में होओगे और होश में होओगे। 125
SR No.002380
Book TitleDhammapada 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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