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________________ पुण्यातीत ले जाए, वही साधु-कर्म समझ में आता है, दो बार समझ में आता है, तीन बार समझ में आता है। एक बार कांटा चुभ जाता है; परिचय न था, पहचान न थी; दूसरी बार चुभ जाता है, क्योंकि कांटे का रंग-ढंग अलग था; तीसरी बार चुभ जाता है...। लेकिन कितनी बार? रंग-ढंग अलग हो, कांटा तो कांटा है। लेकिन हम जीवन से सीखते ही नहीं। जीवन में सबसे बड़ा जो चमत्कार दिखाई पड़ता है, वह यही है कि कोई जीवन से सीखता मालूम नहीं होता। इसीलिए तो हमें इतने-इतने सीखने के लिए प्रयास करने पड़ते हैं। और जब तुम जीवन से ही नहीं सीख पाते तो और कहां सीख पाओगे? जीवन से बड़ा गुरु कहां पाओगे? जीवन से बड़ा विद्यापीठ कहां मिलेगा? अगर वहां चूक जाते हो तो तुम कहीं और अब जाओ, चूकते ही रहोगे। जीवन तुम्हें न सिखा पाया तो और तुम्हें कौन सिखा पाएगा? तुम और किसी की तलाश कर रहे हो, जब कि गुरु तुम्हारे प्रत्येक क्षण में और प्रत्येक पल में मौजूद है! अपने कृत्यों की जरा जांच करते रहो।। बुद्ध कहते हैं, 'वह काम शुभ नहीं, जिसे करके पीछे मनुष्य को पछताना पड़े और जिसके फल को आंसू बहाते और विलाप करते हुए भोगना पड़े।' खुद अपने ही हाथों से ऐ हमनफस चमन का चमन खारो-खस बन गया __ अपने ही हाथों से जहां फूल ही फूल हो सकते थे, जहां फुलवारी हो सकती थी, वहां सिर्फ घास-पात और कांटे ही कांटे उगते मालूम पड़ते हैं। खुद अपने ही हाथों से ऐ हमनफस' चमन का चमन खारो-खस बन गया पर कुछ बिगड़ नहीं गया है। जब जागे तभी सबेरा। पर जागरण का अर्थ होता है : जो अब तक किया है, उससे कुछ सीख लो। बुद्ध का जो मूल सूत्र है, उसमें एक और खूबी है, जो अनुवाद में नहीं है। अनुवादों में बहुत बार बहुत कुछ खो जाता है। अनुवादकों को पता भी नहीं होता, क्योंकि अनुवाद शब्दशः किए जाते हैं। लेकिन बुद्ध जैसे व्यक्ति जब कुछ बोलते हैं तो उनके एक-एक शब्द का कुछ मूल्य होता है। और जब अनुवादक अनुवाद करते हैं तो भाषाकोश से ज्यादा उनकी पहुंच नहीं होती, जीवन के कोश तक उनकी पहुंच नहीं होती। बुद्ध का वचन है ‘साधु'- शुभ नहीं। न तं कम्मं कतं साधु...। वह काम ‘साधु' नहीं। वह जरा उलटा लगता है हिंदी में, इसलिए शुभ अनुवाद करने वालों ने किया है। 107
SR No.002380
Book TitleDhammapada 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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