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अनंत छिपा है क्षण में
इसलिए दुखी हैं कि उनके पास नहीं है, फिर बहुत से लोग इसलिए दुखी हो जाते हैं कि उनके पास है, अब क्या करें? और जीवन का जो रसाध्यक्ष है, वह देखता है कि तुमने अपनी ऊर्जा का क्या उपयोग किया? उसे संचित किए चले गए? कृपणता की ? इकट्ठा किया? तो जिससे महाआनंद फलित हो सकता था उससे सिर्फ नर्क ही निर्मित होगा ।
तुमने कभी खयाल किया, मीरा ने कुंडलिनी की बात नहीं की। बचेगी कहां कुंडलिनी ? नाच में बह जाती है। योगी करते हैं बात, क्योंकि बांटना नहीं जानते । कुंडलिनी का अर्थ क्या है? ऊर्जा उठी और बह नहीं पा रही है। तो भीतर भरी मालूम पड़ती है। लेकिन मीरा में कहां बचेगी ? भरने के पहले लुटाना आता है। आती भी नहीं कि बांट देती है। गीत बना लेती है, नाच ढाल लेती है । उत्सव में रूपांतरित हो जाती है। इसलिए मीरा ने कुंडलिनी की बात नहीं की । चैतन्य ने कुंडलिनी की बात नहीं की। तुम चकित होओगे, भक्तों ने बात ही नहीं की कुंडलिनी की।
क्या भक्तों को कभी कुंडलिनी का अनुभव नहीं हुआ है? एक महत्वपूर्ण सवाल है कि क्या भक्तों ने कुंडलिनी को नहीं जाना ? जाना, लेकिन इकट्ठा नहीं किया । इसलिए कभी समस्या न बनी। कृपण के लिए धन समस्या हो जाती है । दाता लिए कोई समस्या है ? दाता तो आनंदित होता है कि इतने दिन तक बांटने की इतनी आकांक्षा थी, अब पूरी हुई जाती है।
मोहतसिब तस्बीह के दानों पे ये गिनता रहा
रसाध्यक्ष, जीवन का जो उत्सव जांच रहा है, देख रहा है, वह माला के दानों पर गिनता रहा
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मोहतसिब तस्बीह के दानों पे ये गिनता रहा
किनने पी किनने न पी किन-किन के आगे जाम था
शक्ति का अर्थ है, तुम्हारे आगे जाम है, अब पी लो। मत पूछो कि जाम का क्या करें? सामने प्याली भरी है। पीयो और पिलाओ । उत्सव बनो ।
यहूदियों की अदभुत किताब तालमुद कहती है, परमात्मा तुमसे यह न पूछेगा कि तुमने कौन-कौन सी भूलें कीं ? परमात्मा तुमसे यही पूछेगा कि तुमने आनंद के कौन-कौन से अवसर गंवाए ? तुमसे यह न पूछेगा, तुमने कौन-कौन से पाप किए ?
यह बात मुझे बड़ी जंचती है। परमात्मा और पाप का हिसाब रखे, बात ही ठीक नहीं । परमात्मा और पापों का हिसाब रखे ! परमात्मा न हुआ तुम्हारा प्राइवेट सेक्रेटरी हो गया। कोई पुलिस का इंस्पेक्टर हो गया । कोई अदालत का मजिस्ट्रेट हो गया। परमात्मा न हुआ कोई आलोचक हो गया, कोई निंदक हो गया । परमात्मा की इतनी बड़ी आंखों में तुम्हारे पाप दिखाई पड़ेंगे ? तुम्हारी भूलें दिखाई पड़ेंगी?
नहीं, तालमुद ठीक कहता है, परमात्मा पूछेगा कि इतने सुख के अवसर दिए उनको गंवाया क्यों ? इतने नाचने के मौके थे, तुम बैठे क्यों रहे? इतने कंजूस क्यों
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