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एस धम्मो सनंतनो
सुख मिल सकता है। पत्नी से, या पिता से, या भाई से, या बेटे से, या मित्र से, या धन से, या मकान से, या पद से, दूसरे से सुख मिल सकता है तो राग पैदा होता है। स्वाभाविक, जिससे सुख मिल सकता है उसे हम गंवाना न चाहेंगे। जिससे सुख मिल सकता है उसे हम बचाना चाहेंगे। जिससे सुख मिल सकता है वह कहीं दूर न
चला जाए, कहीं कोई और उस पर कब्जा न कर ले। तो पत्नी डरी है कि पति कहीं किसी और स्त्री की तरफ न देख ले। पति डरा है कि पत्नी कहीं किसी और में उत्सुक न हो जाए। क्योंकि इसी से तो सुख की आशा है। वह सुख कहीं और कोई दूसरा न ले ले।
लेकिन सुख कभी किसी दूसरे से मिला है? किसी ने भी कभी कहा कि दूसरे से सुख मिला है ? आशा...और आशा...और आशा...। आशा कभी भरती नहीं। . किसने तुम्हें आश्वासन दिया है कि दूसरे से सुख मिल सकेगा? और दूसरा जब तुम्हारे पास आता है, तो ध्यान रखना, वह अपने सुख की तलाश में तुम्हारे पास आया है। तुम अपने सुख की तलाश में उसके पास गए हो। न उसको प्रयोजन है तुम्हारे सुख से, न तुमको प्रयोजन है उसके सुख से। मिलेगा कैसे, प्रयोजन ही नहीं है? पत्नी तुम्हारे पास है, इसलिए नहीं कि तुम्हें सुख दे। तुम पत्नी के पास हो, इसलिए नहीं कि तुम उसे सुख दो। __ उपनिषद कहते हैं, कौन पत्नी को पत्नी के लिए प्रेम करता है? पत्नी के लिए कोई प्रेम नहीं करता, अपने लिए प्रेम करता है। कौन पति को पति के लिए प्रेम करता है? अपने लिए प्रेम करता है। सख की आकांक्षा अपने लिए है। और इसलिए अगर ऐसा भी हो जाए कि तुम्हें लगे कि दूसरे को दुख देकर सुख मिलेगा, तो भी तुम तैयार हो। और यही होता है। सोचते हैं दूसरे से सुख मिलेगा, लेकिन हम भी दूसरे को दुख ही दे पाते हैं और दूसरा भी हमें दुख दे पाता है।
जिसने इस सत्य को देख लिया वह संन्यस्त हो गया। संन्यास का क्या अर्थ है? जिसने इस सत्य को देख लिया कि दूसरे से सुख न मिलेगा, उसने अपनी दिशा मोड़ ली। वह भीतर घर की तलाश में लग गया। अपने भीतर खोजने लगा, कि बाहर तो सुख न मिलेगा अब भीतर खोज लूं। शायद जो बाहर नहीं है वह भीतर हो। __ और जिन्होंने भी भीतर झांका, वे कभी खाली हाथ वापस न लौटे। उनके प्राण भर गए। उनके प्राण इतने भर गए कि उन्हें खुद ही न मिला, उन्होंने लुटाया भी, उन्होंने बांटा भी। कुछ ऐसा खजाना मिला कि बांटने से बढ़ता गया। कबीर ने कहा है, दोनों हाथ उलीचिए। जब सुख मिल जाए तो दोनों हाथ उलीचिए। क्योंकि जितना उलीचो उतना ही बढ़ता चला जाता है। जैसे कुएं से पानी खींचते जाओ, झरने और नया पानी ले आते हैं। पुराना चला जाता है, नया आ जाता है।
जिसको सुख मिल गया उसे यह राज भी पता चल गया कि बांटो। क्योंकि अगर सम्हालोगे तो पुराना ही सम्हला रहेगा, नया-नया न आ सकेगा। लुटाओ, ताकि तुम
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