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________________ उठो...तलाश लाजिम है और तब यात्रा बंद हो जाती है। क्योंकि जो तुमने जाना नहीं और मान लिया, तुम उसे खोजोगे क्यों? इसलिए बुद्ध ने कहा, तलाश लाजिम है। खोज जरूरी है। ईश्वर है या नहीं, यह फिक्र छोड़ो। लेकिन ऐसे बैठे-बैठे जीवन का ढंग दखपर्ण है। निराशा से भरा है, मूर्छित है। जागो। और बुद्ध ने करोड़ों-करोड़ों लोगों को परमात्मा तक पहुंचा दिया। . इसलिए मैं कहता हूं, इस सदी में बुद्ध की भाषा बड़ी समसामयिक है। कंटेंप्रेरी है। क्योंकि यह सदी बड़ी ईमानदार सदी है। इतनी ईमानदार सदी पहले कभी हुई नहीं। तुम्हें यह सुनकर थोड़ी परेशानी होगी, तुम थोड़ा चौंकोगे। क्योंकि तुम कहोगे, यह सदी और ईमानदार! सब तरह के बेईमान दिखाई पड़ रहे हैं। लेकिन मैं तुमसे फिर कहता हूं कि इस सदी से ज्यादा ईमानदार सदी कभी नहीं हुई। आदमी अब वही मानेगा, जो जानेगा। ___ अब तुम यह न कह सकोगे कि हमारे कहे से मान लो। अब तुम यह न कह सकोगे कि हम बुजुर्ग हैं, और हम बड़े अनुभवी हैं, और हमने बाल ऐसे धूप में नहीं पकाए हैं, हम कहते हैं इसलिए मान लो। अब तुम्हारी इस तरह की बातें कोई भी न मानेगा। अब तो लोग कहते हैं नगद स्वीकार करेंगे, उधार नहीं। अब तो हम जानेंगे तभी स्वीकार करेंगे। ठीक है, तुमने जान लिया होगा। लेकिन तुम्हारा जानना तुम्हारा है, हमारा नहीं। हम भटकेंगे अंधेरे में भला, लेकिन हम उस प्रकाश को न मानेंगे जो हमने देखा नहीं। ___ इसलिए मैं कहता हूं, यह सदी बड़ी ईमानदार है। ईमानदार होने के कारण नास्तिक है, अधार्मिक है। पुरानी सदियां बेईमान थीं। लोग उन मंदिरों में झुके, जिनका उन्हें कोई अनुभव न था। उनका झुकना औपचारिक रहा होगा। सर झुक गया होगा, हृदय न झुका होगा। और असली सवाल वही है कि हृदय झुके। वे ईश्वर को मानकर झुक गए होंगे। लेकिन जिस ईश्वर को जाना नहीं है उसके सामने झकोगे कैसे? कवायद हो जाएगी, शरीर झुक जाएगा, तुम कैसे झुकोगे? उन्होंने उस झुकने में से भी अकड़ निकाल ली होगी। वे और अहंकारी होकर घर आ गए होंगे, कि मैं रोज पूजा करता हूं, प्रार्थना करता हं, रोज माला फेरता हं। __माला फेरने वालों को तुम जानते ही हो। उन जैसे अहंकारी तुम कहीं न पाओगे। उनका अहंकार बड़ा धार्मिक अहंकार है। उनके अहंकार पर राम-नाम की चदरिया है। उनका अहंकार बड़ा पवित्र मालूम होता है, शुद्ध, नहाया हुआ। पर है तो अहंकार ही। और जहर जितना शुद्ध होता है उतना ही खतरनाक हो जाता है। नहीं, इस सदी ने साफ कर लिया है कि अब हम वही मानेंगे जो हम जानते हैं। यह सदी विज्ञान की है। तथ्य स्वीकार किए जाते हैं, सिद्धांत नहीं। और तथ्य भी अंधी आंखों से स्वीकार नहीं किए जाते हैं। सब तरफ से खोजबीन कर ली जाती है, जब
SR No.002379
Book TitleDhammapada 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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