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________________ एस धम्मो सनंतनो क्योंकि जो ऊर्जा है उसका उपयोग कर लो। और तुम पाओगे कि जल्दी ही तुम्हें एक सूत्र मिल गया, एक कुंजी मिल गई— कि जीवन के सभी निषेधात्मक भाव उपयोग किए जा सकते हैं। राह के पत्थर सीढ़ियां बन सकते हैं। जमीन-आसमां से तंग है तो छोड़ दे उनको मगर पहले नए पैदा जमीनो-आसमां कर ले ध्यान रखना, जो गलत है उसे छोड़ने से पहले सही को पैदा कर लेना जरूरी है । नहीं तो गलत की जो ऊर्जा मुक्त होगी, वह कहां जाएगी ? तुम मेरे पास आते हो कि क्रोध हमें छोड़ना है। लेकिन क्रोध में बहुत ऊर्जा सन्निविष्ट है। तुमने बहुत सी शक्ति क्रोध में लगाई है, काफी इन्वेस्ट किया है क्रोध में। अगर आज क्रोध एकदम बंद हो जाएगा तो तुम्हारी ऊर्जा जो क्रोध से मुक्त होगी, उसका तुम क्या करोगे? वह तुम्हारे ऊपर बोझिल हो जाएगी। वह भार हो जाएगी। तुम्हारी छाती पर पत्थर हो जाएगी। जमीन-आसमां से तंग है तो छोड़ दे उनको और जिस चीज से भी तंग हो, उसे छोड़ना ही है। लेकिन एक बात ध्यान रखनी है— मगर पहले नए पैदा जमीनो-आसमां कर ले अगर ये जमीन और आसमां छोड़ने हैं तो दूसरे जमीन और आसमां भीतर पैदा कर ले, फिर इनको छोड़ देना । पैदा करना पहले जरूरी है। गलत को छोड़ने से ज्यादा, अंधेरे से लड़ने की बजाय, रोशनी को जला लेना जरूरी है। गलत से मत लड़ो, ठीक में जागो। सम्यक को उठाओ। ताकि तुम्हारी ऊर्जा जो गलत से मुक्त हो, वह सम्यक की धारा में प्रवाहित हो जाए। अन्यथा उसकी बाढ़ तुम्हें डुबा देगी। उसकी बाढ़ के लिए तुम पहले से नहरें बना लो । ताकि उनको तुम अपने जीवन के खेतों तक पहुंचा सको; ताकि तुम्हारे दबे बीज अंकुरित हो सकें; ताकि तुम जीवन की फसल काट सको । 'दूरगामी, अकेला विचरने वाला, अशरीरी, सूक्ष्म और गूढ़ाशयी, इस चित्त को जो संयम करते हैं, वे ही मार के बंधन से मुक्त होते हैं।' बंधन से मुक्त होने की उतनी चेष्टा मत करना, जितना संयम । संयम शब्द भी समझने जैसा है। इसका अर्थ कंट्रोल नहीं होता, नियंत्रण नहीं होता । संयम का अर्थ होता है, संतुलन । यह शब्द विकृत हो गया है। गलत लोगों ने बहुत दिन तक इसकी गलत व्याख्या की है। तुम जो आदमी नियंत्रण करता है उसको संयमी कहते हो। मैं उसे संयम कहता हूं जो संतुलन करता है। इन दोनों में बड़ा फर्क है। नियंत्रण करने वाला दमन करता है, फ्रायड के अर्थों में। संतुलन करने वाला दमन करता है, बुद्ध के अर्थों में। संतुलन करने वाले को नियंत्रण नहीं करना पड़ता । नियंत्रण तो उसी को करना 20
SR No.002379
Book TitleDhammapada 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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