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एस धम्मो सनंतनो
जैसे ही तुमसे कोई कहता है जीवन क्षणभंगुर है और तुम छोड़ने को राजी हो जाते हो, तो तुम जीवन को छोड़ने को राजी नहीं होते, तुम क्षणभंगुरता को छोड़ने को राजी होते हो। तुम्हारी वासना नहीं मिटती, तुम्हारी वासना और बढ़ गई। तुम सनातन चाहते हो, शाश्वत चाहते हो। तुम कंकड़-पत्थर रखे थे, किसी ने कहा ये कंकड़-पत्थर हैं—तुम अब तक हीरे समझे थे इसलिए पकड़े थे-किसी ने कहा कंकड़-पत्थर हैं, तुम छोड़ने को राजी हो गए, क्योंकि अब असली हीरों की तलाश करनी है। हीरों का मोह नहीं गया। पहले इन्हें हीरा समझा था तो इन्हें पकड़ा था। अब कोई और हीरे हैं तो उन्हें पकड़ेंगे। लेकिन तुम वही के वही हो।
बुद्ध जब कहते हैं, मन क्षणिक है, चंचल है, जीवन क्षणभंगुर है, तो वे सिर्फ तथ्य की घोषणा करते हैं। वे सिर्फ इतना ही कहते हैं, ऐसा है। इससे तुम वासना मत निकाल लेना, इससे तुम साधना मत निकाल लेना, इससे तुम अभिलाषा मत जगा लेना, इससे तुम आशा को पैदा मत कर लेना, इससे तुम भविष्य के सपने मत देखने लगना। और मजा यह है कि जो तथ्य को देख लेता है, वह शाश्वत को उपलब्ध हो जाता है। जैसे ही तुम्हें यह दिखाई पड़ गया कि मन क्षणिक है, कुछ करना थोड़े ही पड़ता है शाश्वत को पाने के लिए। मन क्षणिक है, ऐसे बोध में मन शांत हो जाता है।
इसे जरा थोड़ा गौर से समझना।
ऐसे बोध में कि मन क्षणिक है, पानी का बबूला है, अभी है अभी न रहा, भोर की तरैया है, डूबी-डूबी, अब डूबी तब डूबी, कुछ करना थोड़े ही पड़ता है। ऐसे बोध में तुम जाग जाते हो, गेस्टॉल्ट बदल जाता है। जीवन की पूरी देखने की व्यवस्था बदल जाती है। क्षणभंगुर के साथ जो तुमने आशा के सेतु बांध रखे थे, वे । टूट जाते हैं।
शाश्वत को खोजना नहीं है, क्षणभंगुर से जागना है। जागते ही जो शेष रह जाता है, वही शाश्वत है। शाश्वत को कोई कभी पाने थोड़े ही जाता है। क्योंकि शाश्वत का तो अर्थ ही है कि जिसे कभी खोया नहीं। जो खो जाए वह क्या खाक शाश्वत है! हां, क्षणभंगुर में उलझ गए हैं, बस उलझाव चला जाए, शाश्वत मिला ही है।
लेकिन तुम क्या करते हो? तुम क्षणभंगुर के उलझाव को शाश्वत का उलझाव बना लेते हो। तुम संसार की तरफ दौड़ते थे, किसी ने चेताया; चेते तो तुम नहीं, क्योंकि चेताने वाला कह रहा थाः दौड़ो मत-तुम संसार की तरफ दौड़ते थे, बुद्ध राह पर मिल गए, उन्होंने कहा, कहां दौड़े जा रहे हो, वहां कुछ भी नहीं है-वे इतना ही चाहते थे कि तुम रुक जाओ, दौड़ो मत। तुमने उनकी बात सुन ली, लेकिन तुम्हारी वासना ने उनकी बात का अर्थ बदल लिया। तुमने कहा, ठीक है। यहां अगर कुछ भी नहीं है, तो हम मोक्ष की तरफ दौड़ेंगे। लेकिन दौड़ेंगे हम जरूर।
दौड़ संसार है। रुक जाते तो मोक्ष मिल जाता। संसार की तरफ न दौड़े, मोक्ष