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________________ तथाता में है क्रांति परिणाम होगा। सारा गीता का संदेश इतना सा ही है कि अर्जुन, तू स्वयं को छोड़ दे, निरअहंकार हो जा। तू मत पी अपने हाथ से! - कोई पिला रहा है पिए जा रहा हूं मैं __परमात्मा जो करता है करने दे, तू निमित्त हो जा। जो निमित्त हो गया, वह मालिक हो गया। क्योंकि जो निमित्त हो गया, वह मालिक के साथ एक हो गया। बुद्ध के ये सूत्र बहुत गलत तरह से समझे गए हैं, इसे पहले कह दूं। क्योंकि जितने महासूत्र हैं, आदमी उनको गलत ही समझ सकता है। आदमी के भीतर प्रविष्ट होते ही किरणें भी अंधकार हो जाती हैं। आदमी के भीतर प्रविष्ट होते ही सुगंध दुर्गंध हो जाती है। आदमी के भीतर समझ के हीरे भी नासमझी के कंकड़-पत्थर होकर रह जाते हैं। बुद्ध ने ये सूत्र दिए हैं बड़े बहुमूल्य, लेकिन बुद्ध के पीछे चलने वालों ने उन्हें गलत ढंग से पकड़ा है। जैसा कि सभी के पीछे चलने वालों ने गलत ढंग से पकड़ा है। कुछ बात ऐसी बारीक है, और कुछ बात ऐसी भिन्न है आदमी से कि आदमी के हाथ में पड़ते ही भूल हो जाती है। .. 'चित्त क्षणिक है, चंचल है। इसे रोक रखना कठिन है। इसका निवारण कठिन है। ऐसे चित्त को मेधावी पुरुष उसी प्रकार ऋजु, सरल, सीधा बनाता है, जिस प्रकार वाणकार वाण को।' इन सूत्रों से लोगों ने समझा कि चित्त को दबाना है, कि चित्त को मिटाना है, कि चित्त से लड़ना है। बुद्ध केवल चित्त का स्वभाव समझा रहे हैं। बुद्ध कह रहे हैं, चित्त क्षणिक है, चंचल है। लड़ने की कोई बात नहीं कर रहे हैं। इतना ही कह रहे हैं कि चित्त का स्वभाव ऐसा है। तथ्य की घोषणा कर रहे हैं। लेकिन तुम्हारे मन में जैसे ही कभी कोई तुमसे कहता है चित्त क्षणिक है, जीवन क्षणभंगुर है, तुम तत्क्षण-क्षणभंगुरता को तो नहीं समझते-शाश्वत की खोज में लग जाते हो। वहीं भूल हो जाती है। और तुम्हारे महात्मागण जब भी तुमसे कहते हैं जीवन क्षणभंगुर, चित्त क्षणिक, तुम तत्क्षण सोचने लगते हो कैसे उसे पाएं जो अक्षणिक है, जो शाश्वत है, सनातन है। बस वहीं भूल हो जाती है! शाश्वत को पाना नहीं है, क्षणिक को समझ लेना है। ___ जापान में एक बहुत बड़ा झेन कवि हुआ बासो। उसकी एक छोटी सी कविता है, एक हाइकू है। जिसका अर्थ बड़ा अदभुत है। हाइकू है कि जिन्होंने जाना, वह वे ही लोग हैं जिन्होंने इंद्रधनुष को देखकर तत्क्षण न कहा कि जीवन क्षणभंगुर है, जिन्होंने पानी के बबूले को टूटते देखकर तत्क्षण न कहा कि जीवन क्षणभंगुर है। जिन्होंने ओस की बूंद को बिखरते या वाष्पीभूत होते देखकर तत्क्षण न कहा कि हम उदास हो गए, जीवन क्षणभंगुर है, उन्होंने ही जाना।। ___ यह बड़ी अजीब बात है। बुद्ध के बड़े विपरीत लगती है। बासो बुद्ध का भक्त है। पर बासो समझा।
SR No.002379
Book TitleDhammapada 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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