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एस धम्मो सनंतनो जाता है, तो भेद-रेखा मुश्किल हो जाती है। क्या अपना, क्या बुद्ध का? अज्ञानियों से पूछो। __ अज्ञानियों ने कहा, हमने सुना तो था, लेकिन समझा नहीं। सुना तो था, लेकिन बात इतनी बड़ी थी कि हम सम्हाल न सके। सुना तो था, लेकिन हम से बड़ी थी घटना, हमारी स्मृति में न समाई, हम अवाक और चौंके रह गये। घड़ी आई और बीत गई, और हम खाली हाथ के खाली हाथ रहे। तो कुछ हम दोहरा तो सकते हैं, लेकिन हम पक्का नहीं कह सकते कि बुद्ध ने ऐसा ही कहा था। बहुत कुछ छूट गया होगा। और जो हमने समझा था, वही हम कहेंगे। जो उन्होंने कहा था, वह हम कैसे कहेंगे?
तो बड़ी कठिनाई खड़ी हो गई। अज्ञानी कह नहीं सकते, क्योंकि उन्हें भरोसा नहीं। ज्ञानियों को भरोसा है, लेकिन सीमा-रेखाएं खो गई हैं।
फिर किसी ने सुझाया, किसी ऐसे आदमी को खोजो जो दोनों के बीच में हो। बुद्ध के साथ बुद्ध का निकटतम शिष्य आनंद चालीस वर्षों तक रहा था। लोगों ने कहा, आनंद को पूछो! क्योंकि न तो वह अभी बुद्धत्व को उपलब्ध हुआ है और न वह अज्ञानी है। वह द्वार पर खड़ा है। इस पार संसार, उस पार बुद्धत्व, चौखट पर खड़ा है, देहली पर खड़ा है। और जल्दी करो, अगर वह देहली के पार हो गया, तो उसकी भी सीमा-रेखाएं खो जाएंगी।
आनंद ने जो दोहराया, वही संगृहीत हुआ। आनंद की बड़ी करुणा है जगत पर। अगर आनंद न होता, बुद्ध के वचन खो गये होते। और बुद्ध के वचन खो गये होते, तो बुद्ध का नाम भी खो गया होता। ____नहीं कि तुम बुद्ध के नाम या वचन से मुक्त हो जाओगे। आग शब्द से कभी कोई जला? जल शब्द से कभी किसी की तृप्ति हुई? लेकिन सुराग मिलता है, राह खुलती है। शायद तुममें से कोई चल पड़े। सरोवर की बात सुनकर किसी की प्यास साफ हो जाए, कोई चल पड़े। हजार सुनें, कोई एक चल पड़े। लाख सुनें, कोई एक पहुंच जाए। उतना भी क्या कम है!
तो तुम पूछते हो, 'जिन्होंने बुद्ध की मूर्तियां बनायीं क्या उन्होंने आज्ञा का उल्लंघन किया?'
निश्चित ही आज्ञा का उल्लंघन किया, करने योग्य था। अगर कहीं कोई अदालत हो, तो मैं उनके पक्ष में खड़ा होऊं। मैं बुद्ध के खिलाफ उनके पक्ष में खड़ा होऊं जिन्होंने मूर्तियां बनायीं। उन्होंने संगमरमर के नाक-नक्श से थोड़ी सी खबर हम तक पहुंचा दी।
बुद्ध की मूर्ति बनानी असंभव है। क्योंकि बुद्धत्व अरूप है, निराकार है। बुद्ध की तुम क्या प्रतिमा बनाओगे? कैसे बनाओगे? कोई उपाय नहीं है। लेकिन फिर भी अदभुत मूर्तियां बनीं। उन मूर्तियों को अगर कोई गौर से देखे, तो मूर्तियां कुंजियां हैं।
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