________________
प्रार्थना स्वयं मंजिल
हाथ गए। बहुत पकड़ना चाहा, कुछ पकड़ में न आया। ___ तुम्हारी हालत करीब-करीब वैसी है जैसे तुमने एक बहुत प्रसिद्ध गधे की सुनी हो, कि एक मजाकिया आदमी ने एक गधे के पास दोनों तरफ घास के दो ढेर लगा दिए बराबर दूरी पर। और गधा बीच में खड़ा था। उसे भूख तो लगी, तो वह बाएं तरफ जाना चाहा, तब मन ने कहा कि दाएं। उस तरफ भी घास थी। दाएं तरफ जाना चाहा तो मन ने कहा बाएं।
कहते हैं गधा भूखा बीच में खड़ा-खड़ा मर गया, क्योंकि न वह बाएं जा सका, न दाएं। जब दाएं जाना चाहा तब मन ने कहा बायां। जब बाएं जाना चाहा तब मन ने कहा दायां। ____ तुम्हारा मन यही कर रहा है। जब तुम मंदिर की तरफ जाना चाहते हो, तब मन कहता है दुकान। जब तुम दुकान पर बैठे हो, मन को भजन याद आता है, मंदिर। ऐसे ही मर जाओगे। और दोनों तरफ तृप्ति के साधन मौजूद थे। कहीं भी गए होते।
मैं तुमसे कहता हूं, अगर तुम दुकान पर ही पूरी तरह से चले जाओ तो वहीं ध्यान हो जाएगा। आधे-आधे मंदिर जाने की बजाय दुकान पर पूरे चले जाना बेहतर है। क्योंकि पूरे चला जाना ध्यान है। ग्राहक से बात करते वक्त भीतर राम-राम गुनगुनाना गलत है। ग्राहक को ही पूरा राम मान लेना उचित है। ___ आधे-आधे कुछ सार न होगा। आधा यहां, आधा वहां, तुम दो नाव पर सवार हो, तुम बड़ी मुश्किल में पड़े हो। तुम सब दिशाओं में पहुंचना चाहते हो और कहीं नहीं पहुंच पाते। बुद्धपुरुष एक दिशा में जाते हैं। और जिस दिन मंजिल पर पहुंचते हैं, सब दिशाओं में उनकी गंध फैल जाती है। तुम सब पाने की कोशिश में सब गंवा देते हो। बुद्धपुरुष एक को पा लेते हैं और सब पा लेते हैं। ___महावीर ने कहा है, जिसने एक को पा लिया, उसने सब पा लिया। जिसने एक को जान लिया, उसने सब जान लिया।
जीसस ने कहा है, सीक यी फर्स्ट दि किंगडम आफ गाड ऐंड आल एल्स शैल बी एडेड अनटू यू। अकेले तुम परमात्मा की खोज कर लो। प्रभु काराज्य खोज लो; शेष सब अपने से आ जाएगा, तुम उसकी फिकर ही मत करो। एक को जिसने गंवाया, वह सब गंवा देता है। और एक को जिसने पाया वह सब पा लेता है।
लेकिन तुम्हारा सब अधूरा-अधूरा है। अधूरे-अधूरे के कारण तुम खंड-खंड हो गए हो। तुम्हारे भीतर बड़े टुकड़े हो गए हैं। एक टुकड़ा कहीं जा रहा है, दूसरा टुकड़ा कहीं जा रहा है। तुम एक टूटी हुई नाव हो, जिसके तख्ते अलग-अलग बह रहे हैं। तुम कैसे पहुंच पाओगे? तुम कहां पहुंच पाओगे? तुम हो ही नहीं। तुम इतने खंड-खंड हो गए हो कि तुम हो, यह कहना भी उचित नहीं है। होने के लिए जरूरी है कि तुम्हारी दिशा बने, एक अनुशासन हो, एक श्रृंखला हो। तुम फूलों को पिरोना सीखो, फूलों की माला बनाना सीखो।
171